पतंगबाजी
उत्सवों के आयोजन के लिए मशहूर दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पतंगबाजी का चलन काफी पुराना है। प्राय: हर साल इस मौके पर दिल्ली का आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। खासकर पुरानी दिल्ली में बहुत बड़े पैमाने पर पतंगबाजी होती है। लेकिन शहर का यह रिवाज अब यहां की बिजली आपूर्ति के लिए मुसीबत साबित हो रहा है। यह पतंगबाजी कभी-कभी खतरनाक मंजर सामने ला रही है। पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के दिन पतंगबाजी के कारण बिजली लाइन ट्रिप करने की 25 घटनाएं हुई थीं। इससे यह पता चलता है कि राजधानी में पतंगबाजी करना असुविधाजनक के साथ खतरनाक भी है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पतंगबाजी कभी-कभी जानलेवा भी साबित होती है। हम यह नहीं कहते की पतंगबाजी नहीं की जाए लेकिन इसके लिए सभी जरूरी उपाय करने चाहिए।
बिजली कंपनियां हर साल इसके लिए पतंगबाजों को जागरूक भी करती हैं, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं होता। कंपनियों को जागरूक करने के और तरीके भी अपनाने चाहिए और पतंगबाजों को भी चाहिए कि वे अपना शौक जरूर पूरा करें लेकिन जरा संभलकर। पतंगबाजी ऐसी जगह की जाए जहां बिजली के तार नहीं हों। यही नहीं धातुयुक्त मांझे का प्रयोग नहीं करें क्योंकि जब धातुयुक्त मांझा बिजली के तारों व अन्य उपकरणों के संपर्क में आता है, तो बड़े पैमाने पर ट्रिपिंग होती है और कई इलाके अंधेरे में डूब जाते हैं। निस्संदेह पतंग उड़ाते समय इन सब चीजों से बचना चाहिए क्योंकि आम मांझे से भी पतंग अच्छी उड़ाई जा सकती है। कुछ बिजली कंपनियां इस मामले में आम लोगों के साथ मिलकर पतंगबाजी की सुविधाओं से लोगों को अवगत करा भी रही हैं। लेकिन यह नाकाफी है। इसे बड़े पैमाने में किया जाना चाहिए। फिलहाल तो बिजली कंपनियां नुक्कड़ नाटक करके और सरकारी स्कूलों में बैनर लगाकर लोगों को असलियत का अहसास करा रही हैं लेकिन दिल्ली सरकार को भी इसके लिए कदम उठाने चाहिए। कई बार देखा गया है कि पतंगबाजी में कई लोगों की जान भी चली जाती है। जाहिर है कि यह सिर्फ बिजली कंपनियों के नुकसान का मामला नहीं है। आम लोगों की सुरक्षा भी इससे जुड़ी हुई है। सरकार को विज्ञापन और अपनी अन्य एजेंसियों के जरिये लोगों को पतंगबाजी के खतरों के प्रति आगाह करना चाहिए क्योंकि सिर्फ बिजली कंपनियों के भरोसे रहना ठीक नहीं है।
[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]














कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।