युवा राष्ट्र की पूंजी होते हैं और उनके कंधों पर ही विकास का दारोमदार होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि युवा पीढ़ी स्वस्थ होगी तो देश-प्रदेश की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी। यदि युवा ही बीमार होने लगे तो विकास की कल्पना करना बेमानी होगा। पहाड़ के लोग कठिन जीवन शैली के कारण सेहतमंद माने जाते हैं, लेकिन बदलते समय के साथ जीवन शैली में आया बदलाव पहाड़ के लोगों को कमजोर करने लगा है। बदली जीवन शैली पहाड़ के युवाओं को रास नहीं आ रही। प्रदेश के अधिकतर युवाओं में दिल के रोग खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं, जिसका बड़ा कारण नशीले पदार्थो का सेवन व जंक फूड को माना जा रहा है। हृदयरोग विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र के युवाओं में दिल के रोग होना गंभीर है। कुछ समय से उनके पास दिल रोगियों के ऑपरेशन हुए हैं, उनमें से कई की उम्र 22 साल के करीब थी। यह सही है कि कठिन परिश्रम न करना, नशे का सेवन व जंक फूड बीमारियों को बढ़ा रहे हैं। यह भी चिंतन की बात है कि सेना की भर्ती के दौरान कई युवाओं की सांस दौड़ में ही फूलने लगी है। पालमपुर में चल रही सेना की भर्ती के दौरान 3172 युवाओं में से 2186 युवा दौड़ में ही हांफ गए। यह माना जाता था कि पहाड़ी राज्य हिमाचल का युवा शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं लेकिन इस पर सवाल उठे लगे हैं। बदलती जीवन शैली और अधिक सुख सुविधाएं मिलने से लोगों में आरामपरस्ती बढ़ गई है। नशे के खिलाफ प्रदेश में कई जगह अभियान भी चल रहे हैं। शासन-प्रशासन के साथ सामाजिक संस्थाएं भी सक्रिय हुई हैं लेकिन अभी इसे और तेजी से दिए जाने की जरूरत है। इसके लिए सामाजिक संस्थाओं के साथ अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा। नशे के खिलाफ घर से ही मुहिम शुरू किया जाना आवश्यक हो गया है। सरकारी स्तर पर इस दिशा में योजनाएं तो बनाई जाती हैं लेकिन वे धरातल पर पूरी तरह लागू नहीं हो पाती हैं। शिक्षण संस्थानों के निकट नशे का सामान बेचे जाने पर पाबंदी है लेकिन कई जगह अब भी खुले में नशे का सामान बेचा जा रहा है। कई स्कूलों व कॉलेजों की कैंटीन में ही नशे का सामान आसानी से बेचा जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान करने पर चालान किए जाते हैं लेकिन इसका लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि हर पक्ष नशे के खिलाफ एकजुट होकर कदम बढ़ाए। सरकारी स्तर पर भी इसके खिलाफ मुहिम चलाई जाए। गांव स्तर पर बच्चों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सुविधाएं जुटाई जाएं। युवा पीढ़ी को बचाने के लिए समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]