चुनाव आयोग ने बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों की बूथों पर तैनाती कराकर दो चरण का मतदान शांतिपूर्वक ढंग से जरूर सम्पन्न करा लिया है, परंतु बाहुबल पर अंकुश लगाने में उसे अपेक्षित सफलता मिलती नहीं दिखाई दे रही है। गया, नवादा, रोहतास और गोपालगंज में वोट को लेकर वाद-विवाद का इस कदर तूल पकड़ना कि किसी की जान ले ली जाए और किसी को इतना मारा-पीटा जाए कि वह गंभीर रूप से जख्मी होकर अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष करे, किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। सूबे में अभी तीन चरण का मतदान होना बाकी है, ऐसे में ङ्क्षहसक घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाना चुनाव आयोग और प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। जिन जिलों में वोट को लेकर ङ्क्षहसक घटनाएं हुई हैं उनमें नवादा की वारदात यह साफ संकेत देती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में दबंगों का आज भी राज चल रहा है, पेट की भूख मिटाने के लिए तो कमजोर और वंचित वर्ग इनके रहमोकरम पर जिंदा है ही, पांच साल में एक दिन यानी चुनाव के दिन भी आजादी महसूस नहीं कर पा रहा है। मतदान के लिए ईवीएम का प्रयोग होने पर दावा किया गया था कि अब किसका वोट किसे गया, यह नहीं जान पाएगा, लेकिन नवादा के रजौली थाना के परमचक गांव में मंगलवार को यह दावा गलत साबित हुआ है। यहां यह बात खुल गई कि कौशल्या देवी और उसके बेटे गुड्डू कुमार ने किस दल को वोट दिया है, परिणामस्वरूप दूसरे दल के लोगों ने दोनों की इस कदर पिटाई कर दी कि आज भी वे अस्पताल में भर्ती हैं। कौशल्या देवी के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई, जिसमें गांव के सात दबंगों को अभियुक्त बनाया गया है, लेकिन इसे व्यवस्था का दोष ही कहेंगे कि सभी दबंग फरार हैं। विडंबना यह भी है कि महिला विधवा है और उसका पुत्र सुन भी नहीं सकता। वोट के लिए हिंसा के दौर पर अंकुश न लगने का एक और उदाहरण गुरुवार को गोपालगंज में सामने आया। यहां जादोपुर थाना क्षेत्र केबरईपट्टी गांव में दो दलों के समर्थकों के बीच झड़प में रॉड व हॉकी चलने से एक पार्टी के समर्थक श्रीराम साह के पुत्र हृदया साह को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया। डॉक्टरों को उसे इलाज के लिए गोरखपुर भेजना पड़ा। उसके पिता ने एक दल के सात समर्थकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। रोहतास में करगहर के पथलपुरा गांव में वोट के लिए हुई घटना तो अत्यंत दुखद है। यहां किशोर की गोली मारकर हत्या कर दी गई और कुछ लोगों को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया गया। मृतक किशोर राजू कुमार के पिता सुरेश राम ने वोट देने के लिए दबाव का आरोप लगा निर्दलीय प्रत्याशी सहित चार नामजद व एक दर्जन अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुलिस को मुकदमा दर्ज करने को दिए आवेदन में कहा है कि वोट के लिए दबाव बनाने और ऐसा नहीं करने पर एक दल के दबंगों ने हमला बोल दिया। वैसे अपने नेताओं की जुबानी तल्खी से सियासी दलों के कार्यकर्ता भी आपा खो रहे हैं। गया के टिकारी में दो दलों के समर्थक बुधवार को आपस में भिड़ गए थे। यहां रोड़ेबाजी में कई लोग घायल हुए थे। वोट की खातिर कमजोरों को सताना और सड़क पर दबंगई दिखाना यह भी प्रमाणित करता है कि सियासी दल विकास की दुहाई चाहे जितनी दे डालें, बिहार के आईने में जंगलराज के अक्स अभी कायम हैं। हालांकि इन्हें दूर करने में ही सबकी भलाई है।

[स्थानीय संपादकीयः बिहार ]