पंजाब के मालवा क्षेत्र में नरमे की फसल बड़े पैमाने पर बर्बाद होने के बाद किसान भारी मुसीबत में हैं। मुख्यमंत्री की ओर से मुआवजे और विशेष गिरदावरी की घोषणा के बाद भी किसानों का संघर्ष जारी है। अब केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी उन किसानों के लिए राहत की बात की है जिनकी नरमे की फसल बर्बाद हुई है। नवांशहर में सोमवार को उन्होंने कहा कि सफेद मक्खी की वजह से बर्बाद हुई नरमे की फसल का मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार किसानों को मुआवजा देगी। इस घोषणा का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए मुआवजे को किसान ऊंट के मुंह में जीरा के समान बता रहे हैं। किसानों की शिकायत निराधार भी नहीं है क्योंकि कई किसानों को डेढ़ सौ-दो सौ रुपये के मुआवजे का चेक दिया गया है। महंगाई के इस दौर में दो सौ रुपये मुआवजे को तो कोई भी तर्कसंगत नहीं कह सकता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री की तरफ से तत्काल मुआवजे व विशेष गिरदावरी की घोषणा के बाद भी किसानों का संघर्ष जारी है। किसान कितने तनाव में हैं इसका पता इसी से चल जाता है कि एक और किसान ने नरमे की फसल बर्बाद होने के कारण जान दे दी। मानसा के गांव उड्डत भगत राम निवासी किसान गुलजार सिंह ने कीटनाशक पी लिया जिससे उसकी मौत हो गई। मानसा जिले के ही कम से सात किसान नरमे की बर्बादी के कारण जान दे चुके हैं। नरमा किसानों द्वारा लगातार की जा रही आत्महत्या बहुत दुखद है। सरकार के तमाम प्रयास किसानों के तनाव को कम नहीं कर पा रहे हैं। बङ्क्षठडा में किसानों के राज्य स्तरीय धरने में सल्फॉस खाकर आत्महत्या करने वाले किसान कुलदीप सिंह का पांचवें दिन प्रशासन ने अंतिम संस्कार तो करवा दिया, लेकिन अभी भी इलाके में तनाव बना हुआ है। किसानों की नाराजगी को देखते हुए ही कुलदीप के परिवार को पांच लाख रुपये मुआवजे का चेक जारी किया गया। किसानों को इस समय धैर्य से काम लेने की जरूरत है। तनाव में जान देना कतई समझदारी नहीं है। केंद्र ने यदि प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है तो किसानों को इस रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। केंद्र की ओर से यदि मुआवजा राशि जारी की जाती है तो निश्चित रूप से इससे किसानों को राहत मिलेगी।

[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]