दिल्ली के मतदाताओं को जिस दिन का इंतजार था, वह आ गया। विधानसभा चुनाव के लिए आज भारी संख्या में मतदान कर लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने का दिन है। राजधानी के मतदाता बढ़-चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग करें और मतदान प्रतिशत का एक नया रिकॉर्ड कायम करें। राजधानी में पूरे प्रचार अभियान के दौरान जहां उम्मीदवारों ने मतदाताओं को अपनी रीति-नीति से रू-ब-रू कराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, वहीं चुनाव आयोग ने भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हरसंभव तैयारी की है।

चुनाव में बांटने के लिए रखी गई शराब की बरामदगी की कुछ घटनाओं को छोड़कर कहीं से मतदाताओं को प्रलोभन देने की शिकायतें सामने नहीं आई हैं, जो चुनाव को लेकर बरती जा रही सख्ती को दर्शाता है। यही नहीं, दिल्ली पुलिस भी पूरे प्रचार अभियान के दौरान काफी सक्रिय दिखाई दी है और ऐसा माना जा सकता है कि हरियाणा से अवैध शराब की दिल्ली में आवक रोकने में उसे काफी हद तक सफलता भी मिली है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए मतदान केंद्रों पर बेहतर इंतजाम किए हैं। बुजुर्गो और विकलांगों के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है ताकि उन्हें वोट डालने के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो। आयोग के ये प्रयास निश्चित तौर पर मतदाताओं को परेशानी से बचाएंगे ही, ऐसी आशा की जानी चाहिए कि ये मतदान प्रतिशत बढ़ाने में भी मददगार साबित होंगे।

यह सही है कि चुनाव आयोग को मौजूदा चुनाव के लिए समय कम मिलने के कारण वह मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अधिकतम प्रयास नहीं कर पाया है, लेकिन इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली के मतदाता जिम्मेदार हैं और वे मताधिकार के प्रयोग का महत्व समझते हैं। यही वजह है कि राजधानी पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान की गवाह रही थी। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां 66 प्रतिशत मतदान हुआ था, वहीं लोकसभा चुनाव में 65 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। मतदान के इस रिकॉर्ड को भी तोड़े जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय राजधानी को देश के अन्य राज्यों के समक्ष अधिकतम मतदान प्रतिशत की नजीर बनानी चाहिए। स्वयं मतदान करना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। यह सोचकर घर में न बैठे रहें कि आपके एक वोट से क्या फर्क पड़ता है।

स्थानीय संपादकीयः नई दिल्ली