निजी हित जब लालच या स्वार्थ में परिवर्तित हो जाते हैं तो उनका नतीजा किसी भी पक्ष के लिए सुखद नहीं होता है। प्रकृति की अनमोल देन का दोहन उतना ही हो, जितनी जरूरत है तो बेहतर है। सीमा से अधिक दोहन संकट लेकर ही आता है और तबाही का कारण भी बनता है। हिमाचल प्रदेश में प्रतिबंध के बावजूद खनन माफिया धड़ल्ले से नदियों व खड्डों का सीना छलनी कर रहा है। इस कार्य के लिए गैरकानूनी तरीके से सड़कें तक बना ली गई हैं। इन्हीं सड़कों को आम रास्ता समझ कर अन्य राज्यों के कई पर्यटक नदी-नालों की ओर जाकर जान जोखिम में डालते हैं। हालांकि अवैध रूप से निकाली गई इस प्रकार की सड़कों को बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं मगर उन पर गंभीरता से अमल होता नहीं दिख रहा है। प्रदेश के कई इलाकों में आज भी ऐसे रास्ते दिख जाएंगे जिनका प्रयोग अवैध खनन के लिए किया जाता है। खासकर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में जिस तरह रात के अंधेरे में अवैध खनन को अंजाम देकर माफिया अन्य राज्यों में रेत की तस्करी कर रहा है, उस पर तत्काल अंकुश लगाए जाने की जरूरत है। सरकार की सख्ती व प्रशासन की कार्रवाई से बेखौफ होकर इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। मुनाफे के चक्कर में इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा कि नदियों-खड्डों में खनन से पडऩे वाले गड्ढे इतने गहरे हो चुके हैं कि किसी की जान भी उनमें गिरने से जा सकती है। माफिया द्वारा कई ऐसे स्थानों पर खनन को अंजाम दिया जा रहा है जहां से पानी का बहाव मुडऩे पर लोगों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। कुल्लू जिला में भी ब्यास नदी के किनारे अवैध खनन को सरेआम अंजाम दिया जा रहा है। ब्यास के सीने पर जेसीबी चलाई जा रही है मगर पूछने वाला कोई नहीं है। आजकल बरसात के दौरान व्यास और इसकी सहायक नदियों का जलस्तर काफी बढ़ गया है मगर इसकी परवाह किए बिना थोड़े से पैसों के लिए नियमों को तोड़ा जा रहा है। अवैध खनन की शिकायतों पर सरकार का गंभीर होना और इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के दावों के विपरीत हालात बताते हैं कि यदि तत्काल और ठोस उपाय न किए गए तो परिणाम गंभीर भुगतने होंगे। अवैज्ञानिक तरीके से किए जा रहे खनन के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है जिसका खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ सकता है। जरूरत इस बात की है कि समय रहते चेत जाएं। यदि जनता को भी अपने आसपास कोई खनन करता दिखता है तो उसकी सूचना तत्काल खनन विभाग को दी जाए ताकि कड़ी कार्रवाई हो सके।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]