जेएनयू में बुजुर्गों की मॉर्निंग वॉक पर लगी रोक, दिल्ली HC पहुंचा मामला
1989 से जेएनयू परिसर में सुबह की सैर कर रहे वरिष्ठ नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। जेएनयू प्रशासन का यह फैसला अब कोर्ट में पहुंच गया है।
नई दिल्ली। जेएनयू प्रशासन ने देशद्रोह प्रकरण के बाद से परिसर में सुबह की सैर के लिए आने वाले वरिष्ठ नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। जेएनयू प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जेएनयू के कुलपति को वरिष्ठ नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल के आग्रह पर विचार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कुलपति को निर्देश दिया है कि वह मुद्दे पर विचार कर चार हफ्ते के भीतर इसका निपटारा करें।
प्रतिनिधिमंडल का निवेदन है कि उन्हें दोबारा से परिसर में सैर करने की अनुमति प्रदान की जाए। अदालत ने याची युधिष्ठिर शर्मा की परिसर में सैर जारी रखने के अंतरिम आदेश दिए जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया।
अदालत ने कहा, हमें आपकी सुरक्षा के मुद्दे को भी देखना है। हम यह नहीं चाहते की आपके साथ कोई मारपीट करे। इस समय परिसर में हिंसक माहौल है। अदालत ने कहा कि वह जेएनयू प्रकरण के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेगी। इस मुद्दे पर सभी पक्षों के अधिकार स्वतंत्र हैं।
मुनिरका स्थित डीडीए फ्लैट फेज-2 रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष युधिष्ठिर शर्मा ने अदालत को बताया कि गत 10 फरवरी को वरिष्ठ नागरिकों के कैंपस में प्रवेश पर जेएनयू प्रशासन ने रोक लगा दी। याची के अनुसार मुनिरका व आसपास के रहने वाले लोग वर्ष 1989 से जेएनयू परिसर में सैर करने जाते हैं।
जेएनयू में करीब एक हजार एकड़ की जगह है जहां लोग सैर करते हैं। सैर करना उनका अधिकार है। विश्व की सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में से एक दिल्ली में हमें स्वच्छ हवा लेने से रोका जा रहा है। परिसर में बड़ी संख्या में निजी वाहन व डीटीसी की बसों से लोग आवाजाही करते हैं। इनमें से किसी के पहचान पत्र की जांच नहीं की जाती है।