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नोएडा की तरह बाराबंकी पर भी 'ग्रहण', यहां आने पर चली जाती है CM की कुर्सी

इसे मिथक कहें या फिर अंधविश्वास नोएडा के बाद अब बाराबंकी जिले की फतेहपुर तहसील मनहूस की श्रेणी में आ गई है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 02 Jun 2016 10:53 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2016 07:24 AM (IST)

नोएडा (जेपी यादव)। गौतमबुद्धनगर के शहर नोएडा के बारे में मिथक है कि यहां पर आने वाला मुख्यमंत्री अगली बार सत्ता में वापसी नहीं कर सकता है। फिर वह चााहे किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री क्यों न हो।

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एक नहीं पांच-पांच मुख्यमंत्री नोएडा आए और उसके बाद चुनाव में अपनी सत्ता गंवाई। सत्ता से बेदखल होने वालों में यूपी के पांच मु्ख्यमंत्री शामिल हैं। इसे मिथक कहें या फिर अंधविश्वास नोएडा के बाद अब बाराबंकी जिले की फतेहपुर तहसील भी 'मनहूस' की श्रेणी में आ गई है। यहां पर हेलीकॉप्टर पर सवार होकर कदम रखने वाला नेता व मुख्यमंत्री अगली बार वापसी नहीं कर पाता है। नोएडा की तरह बाराबंकी की फतेहपुर तहसील आकर कई मुख्यमंत्री व मंत्री अपनी कुर्सी से हाथ धो बैठे हैं। इनमें लालू प्रसाद यादव तक शामिल हैं।

नोएडा के बारे में यह है मिथक

'नोएडा फोबिया' की शुरुआत वर्ष 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के नोएडा यात्रा के कुछ दिनों बाद सत्ता गंवाने से हुई।

यह अजब इत्तेफाक है कि वर्ष 1989 में नारायण दत्त तिवारी, साल 1995 में मुलायम सिंह यादव, वर्ष 1997 में मायावती और साल 1999 में कल्याण सिंह को भी नोएडा की यात्रा करने के कुछ समय बाद सत्ता से हटना पड़ा था।

राज्य की चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं मायावती अक्टूबर 2011 में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने के लिए नोएडा गईं थीं और संयोग से वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा।

मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन नोएडा के बजाय लखनऊ से किया था।

फतेहपुर का यह है तिलस्म

फतेहपुर में आकर फिर सत्ता में वापसी नहीं करने वालों में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं। लालू यादव के अलावा, कई यूपी के कई मुख्यमंत्री और सांसद-विधायक भी यहां का दौरा करके अपनी सत्ता गंवा चुके हैं।

अब कल यानी तीन जून को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बाराबंकी की फतेहपुर तहसील क्षेत्र में कार्यक्रम प्रस्तावित है। अखिलेश यहां महिला पॉलिटेक्निक का शिलान्यास करने आ रहे हैं। मजे की बात यह है कि यहां के लोग मेहमाननवाजी के बजाय मुख्यमंत्री से ही अपील कर रहे हैं कि वे इस जिले में नहीं आएं।

लालू ने गंवाई सत्ता, जाना पड़ा जेल

लगभग ढाई दशक के अंतराल में इस क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से आने वाले प्रदेश ही नहीं, देश के मुख्यमंत्रियों को इस मिथक का शिकार होना पड़ा है । 1993 के लोकसभा चुनाव के समय पार्टी प्रत्याशी का प्रचार करने आए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव फतेहपुर से वापस गए तो उन्हें चारा घोटाले एवं अन्य विवाद के चलते मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।

कल्याण सिंह ने गंवाई सत्ता

स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव के समय भाजपा प्रत्याशी बैजनाथ रावत के समर्थन में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह प्रचार के लिए आए थे। इसके एक साल के भीतर ही 1999 में मुख्यमंत्री पद गवाना पड़ा था।

मायावती भी यहां आकर खा चुकी हैं गच्चा

इसके दो साल बाद वर्ष 2011 में बहुजन समाज पार्टी की मुख्यमंत्री मायावती भी फतेहपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पहाड़ापुर में आई थी। इसके बाद 2012 क विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था।

केंद्रीय मंत्री व उपमुख्यमंत्री भी हुए मिथक के शिकार

बताया जाता है कि मनहूसियत का साया सिर्फ उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं रहा। इसकी चपेट में बिहार और यूपी के मुख्यमंत्री ही नहीं महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे भी यहां पर आने की ‘सजा’ मिली। इसके अलावा, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में संचार मंत्री रहे प्रमोद महाजन भी इस श्रापित जगह के मिथक का शिकार हो चुके हैं।

अखिलेश यादव के समर्थक चिंतित

मनहूसियत का सबब बने फतेहपुर तहसील चर्चा में हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कल महिला पॉलिटेक्निक का शिलान्यास करने हेलीकॉप्टर से ही आ रहे है। ऐसे में स्थानीय लोगों और नेताओं और समर्थकों में बात को लेकर चर्चा है कि क्या यह मिथक तोड़कर अखिलेश यादव सत्ता में वापस आ पाएंगे।

स्थानीय सपा नेता बेचैन

बाराबंकी ही नहीं, आसपास के जिलों के समाजवादी पार्टी के नेता चिंतित हैं। इस मिथक को लेकर स्थानीय सपा नेताओं में भी बेचैनी है। स्थानीय नेता-समर्थक नहीं चाहते हैैं कि यहां पर अखिलेश यादव आएं। इस बाबत मैसेज और पत्र भी लिखा जा रहा है।


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