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    JNU विवाद में अब आया नया मोड़, आरोपियों ने पूर्व VC को भी लपेटा

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2016 11:54 AM (IST)

    रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है कि हस्ताक्षर तीनों आरोपियों के ही हैं। सूत्रों की मानें तो गिरफ्तारी से बचने के लिए संभव है कि आरोपियों ने ये चाल चली हो, लेकिन जिस तरह से उन्होंने पूर्व कुलपति पर आरोप लगाया है उससे उनकी भूमिका पर भी

    नई दिल्ली (शैलेंद्र सिंह)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नौ फरवरी को लगे देशविरोधी नारों को लेकर खड़े हुए विवाद में नया मोड़ आ गया है। इस प्रकरण में अब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एसके सोपोरी का नाम भी सामने आ रहा है।

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    देशद्रोह के आरोप में फंसे उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य व अनंत प्रकाश ने जेएनयू प्रशासन को कथित रूप से चिट्ठी लिखकर कहा था कि अगर उनको गिरफ्तार किया जाता है तो पूर्व कुलपति प्रो. एसके सोपोरी को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने इसके लिए उकसाया था।

    सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 9 फरवरी की घटना के बाद अपने खिलाफ कार्रवाई को लेकर बनते दबाव को देखते हुए उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य व अनंत प्रकाश सहित तमाम आरोपी छात्र कैंपस से गायब हो गए थे।

    उसके बाद उन्हें कैंपस में 21 फरवरी को देखा गया। इससे तीन दिन पूर्व एक चिट्ठी जेएनयू कुलपति कार्यालय को भेजी गई। इस चिट्ठी के माध्यम से आरोपी छात्रों ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रशासन पर ये कहते हुए दबाब बनाया कि अगर उनको गिरफ्तार किया जाएगा तो पूर्व कुलपति प्रो. एसके सोपोरी को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ही कैंपस में इस तरह की गतिविधियों के लिए उन्हें उकसाया था।

    इस चिट्ठी में आठ छात्रों के नाम और तीन उमर खालिद, अनिर्बान और अनंत प्रकाश के हस्ताक्षर हैं। सूत्रों के अनुसार उमर, अनिर्बान व अनंत ने चिट्ठी लिखने से इन्कार किया तो चिट्ठी की प्रमाणिकता परखने के लिए उसकी सरकारी फारेंसिक लैब में जांच कराई गई।

    इसकी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि हस्ताक्षर तीनों आरोपियों के ही हैं। सूत्रों की मानें तो गिरफ्तारी से बचने के लिए संभव है कि आरोपियों ने ये चाल चली हो, लेकिन जिस तरह से उन्होंने पूर्व कुलपति पर आरोप लगाया है उससे उनकी भूमिका पर भी संदेह होना लाजिमी है, क्योंकि कैंपस में कई देशविरोधी गतिविधियां उनके कार्यकाल में हो चुकी हैं।

    फिर चाहे वो जूते के सोल पर राष्ट्रीय चिह्न् को प्रदर्शित करने की हो या अफजल गुरु की बरसी पर कैंपस में कार्यक्रम आयोजित कर देशविरोधी नारे लगाने की।