Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी धोखाधड़ी में घिरे, कोर्ट पहुंचा मामला

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sun, 06 Dec 2015 10:55 AM (IST)

    नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी पर चेरिटेबल ट्रस्ट के फंड में कथित हेराफेरी के आरोप में घिर गए हैं। उन पर आरोप लगाने वाले ट्रस्ट के सदस्यों ने अदालत में कहा कि सत्यार्थी समाजसेवा के नाम पर लोगों को धोखा दे रहे हैं।

    नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी पर चेरिटेबल ट्रस्ट के फंड में कथित हेराफेरी के आरोप में घिर गए हैं। उन पर आरोप लगाने वाले ट्रस्ट के सदस्यों ने अदालत में कहा कि सत्यार्थी समाजसेवा के नाम पर लोगों को धोखा दे रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तीस हजारी की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कामिनी लॉ के समक्ष उन्होंने कहा कि सत्यार्थी ने वर्ष 1997 में संस्था के फंड का दुरुपयोग किया था। सत्यार्थी ने कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। नोबेल पुरुस्कार मिलने के बाद से ही उनकी छवि को खराब करने के लिए झूठा प्रचार किया जा रहा है।

    अदालत ने सत्यार्थी के तर्क पर कहा कि नाम कमा चुके लोग भी रातोंरात सड़क पर आ जाते हैं। इन सब में पड़ने के बजाए मुद्दे की बात करनी चाहिए। याचिका में सत्यार्थी की तरफ से कहा गया था कि इस दीवानी मुकदमे को लड़ने के लिए उनके व उनकी पत्नी द्वारा किए गए खर्च की राशि अन्य ट्रस्ट के सदस्यों को देनी चाहिए।

    ट्रस्टियों की तरफ से अदालत को बताया गया कि यह जनहित व सामाजिक याचिका है। अगर हमसे खर्च देने को कहा जाता है तो फिर यहां जनहित नहीं रह जाएगा। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसले के लिए 14 दिसंबर की तारीख तय की है।

    पेश मामले में सत्यार्थी और उनकी पत्नी सुमेघा पर वर्ष 1997 में मुक्ति प्रतिष्ठान ट्रस्ट के फंड को निजी यात्राओं में इस्तेमाल करने व बाद में खातों में हेराफेरी करने का आरोप है। याचिका में कैलाश सत्यार्थी की तरफ से कहा गया था कि उन्हें नोबेल मिलने के बाद शिकायतकर्ता अचानक काफी उग्र हो गए हैं।

    ट्रस्ट के अन्य सदस्यों की तरफ से अदालत को बताया गया कि ट्रस्ट के खातों की जांच के लिए सीए की नियुक्ति में होने वाले खर्च की आधी रकम भी वह वहन नहीं कर सकते।

    स्वयं की गई खातों की जांच से यह पता चला कि सत्यार्थी और उनकी पत्नी ने विदेशी दौरे व आलीशान जीवन जीने के लिए ट्रस्ट के रुपयों को व्यर्थ कर दिया था। इस रकम को खातों में गलत तरीके पेश किया गया था।