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    कई सवाल छोड़ गई कन्हैया को क्लीन चिट देने वाली डीएम की जांच रिपोर्ट

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sat, 05 Mar 2016 02:49 PM (IST)

    कन्हैया कुमार के भारत विरोधी नारेबाजी करने के मामले में दिल्ली सरकार द्वारा गठित मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट जिस तरह आनन-फानन में आई और कन्हैया को क्लीनचिट दे गई, वह कई सवाल खड़े कर रही है।

    नई दिल्ली [सर्वेश कुमार]। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के भारत विरोधी नारेबाजी करने के मामले में दिल्ली सरकार द्वारा गठित मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट जिस तरह आनन-फानन में आई और कन्हैया को क्लीनचिट दे गई, वह कई सवाल खड़े कर रही है।

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    नई दिल्ली जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) संजय कुमार ने दिल्ली सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें बताया गया है कि उन्होंने घटना के बाद से फरार छात्रों से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने थैंक्यू कहकर बात करने से मना कर दिया। रिपोर्ट यह नहीं कहती कि जब आरोपी छात्रों से बात ही नहीं हुई तो जांच आगे कैसे बढ़ी? रिपोर्ट यह तो कहती है कि जी न्यूज ने उन्हें वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं कराया, लेकिन यह नहीं बताती कि जब फुटेज नहीं मिला तो फिर पुलिस की मदद लेने की जरूरत क्यों नहीं समझी गई?

    और भी हैं सवाल

    सवाल नंबर -1
    दिल्ली सरकार के पास रोहिणी में फॉरेंसिक साइंस लैब है। लोदी रोड में केद्र सरकार की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी है, लेकिन दिल्ली सरकार ने इन सरकारी लैब पर कोई भरोसा नही किया और वीडियो को जांच के लिए हैदराबाद की निजी लैब ट्रुथ लैब में भेजा। इस लैब ने दिल्ली सरकार को रिपोर्ट देने से पहले ही मीडिया को रिपोर्ट की जानकारी दे दी। क्या इस लैब को कहा गया था कि वह जांच रिपोर्ट इस तरह उजागर कर सकती है?

    सवाल नंबर -2
    रिपोर्ट में यह कहा गया है कि डीएम ने यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो को चुना। डीएम ने लिखा है कि लोगों से वीडियो जुटाने की कोशिश नहीं की गई। उन्होंने यूट्यूब पर उपलब्ध सात वीडियो की जांच कराई। इनमें से तीन के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आई, लेकिन बाकी चार में क्या है, इसका विवरण नहीं दिया गया। यह भी नहीं बताया गया कि आखिर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाले कौन थे?

    सवाल नंबर -3
    तीनों गवाहों जी4एस के देवेंद्र सिंह, अमरजीत सिंह और एक अन्य वीपी यादव ने अपने बयान क्यों बदले, इस बारे में रिपोर्ट कुछ नहीं कहती। वीपी यादव ने जेएनयू की आंतरिक जांच कमेटी के समक्ष कहा था कि उन्होंने कन्हैया को गंगा ढाबा पर देशविरोधी नारा लगाते देखा, लेकिन डीएम से पूछताछ में इससे इन्कार कर दिया?

    भाजपा ने उठाए सवाल

    दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार की भूमिका शक के घेरे में है। सरकार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। दिल्ली सरकार की भूमिका की भी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। निजी लैब से जांच कराने के पीछे सरकार की क्या मंशा थी, यह भी प्रकाश में आना चाहिए।

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