सावधान! बंद कमरे में ब्लोअर चलाना खतरनाक, जा सकती है जान
डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि यदि कमरे में बाहर की हवा आने की जगह न हो और साधारण ब्लोअर का इस्तेमाल किया जाए तो कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। कैंट इलाके में तंदूर जलाकर सोने से छह लोगों की मौत के मामले में डॉक्टर का कहना है कि किसी बंद स्थान या कमरे में तंदूर जलाने पर उसके धुएं से उस जगह कार्बन मोनो ऑक्साइड व कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस वजह से आक्सीजन इतनी नहीं बचती कि लोग ठीक से सांस ले सकें। ऐसी स्थिति में जहरीला धुआं सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करता है। इस वजह से प्रभावित व्यक्ति की तुरंत मौत हो सकती है।
बच्चों के लिए जानलेवा
सर्दियों में लोग अक्सर घरों के अंदर ब्लोअर चलाकर सोते हैं। ऐसा करना भी खतरनाक साबित हो सकता है। खासतौर पर बच्चों के लिए यह जानलेवा भी साबित हो सकता है इसलिए ब्लोअर चलाते वक्त सतर्क रहना जरूरी है। ब्लोअर अधिक गर्म होने के बाद कमरे का ऑक्सीजन बर्न करता है। इस वजह से कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
कम हो जाती है ऑक्सीजन की मात्रा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि यदि कमरे में बाहर की हवा आने की जगह न हो और साधारण ब्लोअर का इस्तेमाल किया जाए तो कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में दम घुटने की परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि तंदूर में कोयला इस्तेमाल होता है। जिसके जलने में कार्बन मोनो ऑक्साइड व कार्बन डाईऑक्साइड गैस निकलती है।
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