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    आतिशबाजी से दिल्ली की हवा में घुला जहर, 42 गुना तक बढ़ा प्रदूषण का स्तर

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Tue, 01 Nov 2016 07:52 AM (IST)

    दीपावली पर दिल्ली एनसीआर में कुछ ज्यादा ही आतिशबाजी हुई है। इसके परिणाम स्वरूप दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।

    नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर में भी धूमधाम से दीपावली मनाई गई। पूर्व की तरह इस बार भी दिल्ली में जमकर पटाखे फोड़े गए। दिल्ली एनसीआर में कुछ ज्यादा ही आतिशबाजी हुई है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सामान्य स्तर से कई 42 गुना तक बढ़ा हुआ रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक आंकड़े के मुताबिक दक्षिण दिल्ली के आरके पुरम इलाके में प्रदूषित पीएम (पर्टिकुलर मैटर्स) 10 की मात्रा 42 गुना अधिक दर्ज की गई। बढे हुए प्रदुषण की वजह से लोगों का सांस लेना दुश्वार हो गया है। वहीं, आज सुबह से पूरे एनसीआर में धूल का गुबार छाया हुआ है।

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    दिल्ली में प्रदूषण के स्तर के खतरनाक होने की स्थिति में ये सेहत के लिए बेहद की खतरनाक है। वहीं आज सुबह घर से मॉर्निंग वॉक के लिए निकले लोगों को सांस लेने में परेशानी देखी गई।

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    सड़कों पर जीरो विजिबिलिटी, वाहन चालक परेशान

    देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हुई खूब आतिशबाजी के चलते धूल-धुएं का गुबार आसमान में छाया हुआ है। पटाखों की धुंध में लिपटी दिल्ली के कई इलाकों में विजिबिलिटी जीरों रही।

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    इसके चलते डीएनडी फ्लाईवे पर पांच गाड़ियां आपस में भिड़ गई, लेकिन किसी को चोट नहीं आई है।

    केंद्र सरकार की संस्था सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ( SAQWFR) के मुताबिक दीवाली पर आतिशबाजी के बाद खतरनाक पर्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 का स्तर 507 तक पहुंच गया, जबकि पीएम 10 का स्तर 511 तक था। अगर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 400 से ज्यादा होता है तो प्रदूषण का स्तर बेहद ही खतरनाक हो जाता है।

    दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद में भी प्रदूषण का बुरा हाल है। नोएडा में भी हवा की क्वालिटी बेहद खराब है, प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। दिल्ली से सटे नोएडा में डीएनडी फ्लावे पर तो कई घंटे तक जीरो विजिबिलिटी रही। नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर 450 था, जबकि पीएम 10 का स्तर 493 था।

    लोगों के स्वास्थ्य पर असर

    हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने पर हवा में सांस से जुड़ी बीमारियां का खतरा पैदा हो जाता है। हृदय और फेफड़े की बीमारी वाले लोग इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं, खासकर अस्थमा के रोगियों की मुश्किल कई गुना बढ़ जाती है।