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    वायु प्रदूषण कम करने में नाकाम रहा है ऑड-इवेन, जानें- क्या कहते हैं आंकड़े

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sat, 11 Nov 2017 04:48 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने वर्ष 2016 में 1-15 जनवरी और इसके बाद 16 से 30 अप्रैल के बीच ऑड-इवेन लागू किया था। दोनों ही बार कोई उल्लेखनीय नतीजे सामने नहीं आए थे।

    वायु प्रदूषण कम करने में नाकाम रहा है ऑड-इवेन, जानें- क्या कहते हैं आंकड़े

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली सरकार भले ही ऑड-इवेन से वायु प्रदूषण कम करने का दावा कर रही हो, लेकिन प्रदूषण के आंकड़े दावे की सिरे से कलई खोल रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पहले भी जब दो बार ऑड-इवेन लागू किया गया था, तो वायु प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई थी। विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि ऑड-इवेन वायु प्रदूषण कम कर ही नहीं सकता। इससे यातायात व्यवस्था में तो सुधार संभव है, हवा की बेहतरी नहीं।

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    दिल्ली सरकार ने वर्ष 2016 में 1-15 जनवरी और इसके बाद 16 से 30 अप्रैल के बीच ऑड-इवेन लागू किया था। दोनों ही बार कोई उल्लेखनीय नतीजे सामने नहीं आए थे। सामान्य दिनों की तुलना में पीएम 2.5 में जरा भी कमी नहीं आई। दोनों ही बार यह खराब, बहुत खराब और गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया।

    1 से 15 जनवरी 2016 के मध्य सफर द्वारा 24 घंटे के औसत आंकलन के आधार पर पर पीएम 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर में)
    तारीख-पीएम 2.5
    1-197.8
    2-194.6
    3-205.4
    4-249.1
    5-278.4
    6-271.8
    7-248.6
    8-280.3
    9-165.3
    10-131.2
    11-146.4
    12-173.1
    13-158.4
    14-179.1
    15-144

    16 से 30 अप्रैल 2016 के मध्य पीएम 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर में)
    तारीख-पीएम 2.5
    16-111.8
    17-70.5
    18-75.4
    19-124.6
    20-90.2
    21-67.8
    22-93.8
    23-81.2
    24-90.5
    25-107.3
    26-132.3
    27-138.3
    28-177.6
    29-161.8
    30-184.3
    पीएम 2.5 का निर्धारित सामान्य स्तर 60 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर है।

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    क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    ऑड-इवेन से प्रदूषण कम नहीं होगा। अप्रैल 2016 में जब पंद्रह दिन के लिए ऑड-इवेन लागू हुआ था, तो इसकी समीक्षा की थी। पता चला कि ऑड-इवेन की प्रदूषण कम करने की क्षमता ही नहीं है। इसीलिए उन 15 दिनों में भी सामान्य दिनों की तुलना में महज 4 से 7 फीसद प्रदूषण ही कम हुआ था।

    सुमित शर्मा, एसोसिएट डायरेक्टर, टेरी (द एनर्जी एड रिसोर्स इस्टीट्यूट)

    ऑड-इवेन यातायात व्यवस्था को सुचारू बना सकता है, लेकिन वायु प्रदूषण कम नहीं कर सकता। वैसे भी दिल्ली में प्रदूषण की एक वजह नहीं है। अगर सार्वजनिक व्यवस्था बेहतर हो तो लोग स्वयं निजी वाहन छोड़ेंगे। विदेश में ऐसा ही होता है।

    डॉ. राधा गोयल, उप निदेशक, इंडियन पाल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (आइपीसीए)

    दिल्ली में करीब 60 लाख दोपहिया वाहन 27 लाख कारें हैं। दोपहिया वाहन ऑड-इवेन में शामिल नहीं होंगे, तब सिर्फ आधी कारों को रोकने से प्रदूषण कैसे कम हो जाएगा। सभी कारें तो रोज चलती भी नहीं हैं, जो चल रही हैं, उन्हें भी कई आधार पर छूट दे दी गई है। कारों से ज्यादा प्रदूषण स्कूटर व बाइक फैलाते हैं।

    डॉ. भूरेलाल, अध्यक्ष, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) 

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