चिकनगुनिया पर NGT सख्त, हर तीसरा शख्स बीमार, क्या कर रही है सरकार?
डेंगू व चिकनगुनिया के बढ़ते प्रकोप पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार, तीनों निगमों, एनडीएमसी, जल बोर्ड व अन्य सभी सिविक एजेंसियों को फटकार लगाई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में डेंगू व चिकनगुनिया के बढ़ते प्रकोप पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने दिल्ली सरकार, तीनों निगमों, एनडीएमसी, जल बोर्ड व अन्य सभी सिविक एजेंसियों को जमकर फटकार लगाई है। एनजीटी ने कहा कि राजधानी में हर तीसरा आदमी बीमार है। हम इससे आंखें नहीं मूंद सकते। आपको जो काम जून में करना चाहिए था, वो अब करना शुरू कर रहे हैं।
सभी सिविक एजेंसियां मिलकर कोई स्थायी समाधान क्यों नहीं निकालतीं। आप लोग कह रहे हैं कि डेंगू से इस साल अब तक कम लोगों की मौत हुई है। क्या ये आपका स्पष्टीकरण है। हम आपके इस रवैये से बहुत आहत हैं। बुधवार को एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने मामले में केंद्र, दिल्ली सरकार, तीनों निगमों व जल बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
एनजीटी ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के नेतृत्व में इस मुद्दे पर एक प्रिंसिपल कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में डीडीए, नगर निगमों, एनडीएमसी, जल बोर्ड समेत सभी एजेंसियों के मुखिया हैं। एनजीटी ने कमेटी को 22 सितंबर सुबह 11 बजे बैठक कर इस विषय पर कार्ययोजना बनाने व उसका पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।
एनजीटी ने कमेटी से कहा है कि वह इस मसले पर दिल्ली-एनसीआर को लेकर 15 दिन के भीतर एक रिपोर्ट तैयार कर सौंपे। एनसीआर के उपायुक्त स्तर के अधिकारियों को इसमें शामिल किया जाए। इसके अलावा इस समस्या पर भविष्य के लिए भी ऐसी योजना बनाई जाए जिसको अगले वर्ष फरवरी से ही लागू किया जा सके।
केवल कागजों पर किया काम
एनजीटी ने सिविक एजेंसियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि काम को लेकर आपके आंकड़े झूठ का पुलिंदा हैं। आखिर आप लोग कर क्या रहे हैं। नगर निगमों व एनडीएमसी के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए एनजीटी ने कहा कि कागजों पर तो आप लोगों ने काफी काम किया है, लेकिन सच्चाई यह है कि घरों का सर्वे करना तो दूर, आप लोग यह भी नहीं बता पा रहे हैं कि राजधानी में अवैध कॉलोनियां कितनी हैं।
लाखों घरों में की गई जांच
सिविक एजेंसियों ने कहा कि हम फॉगिंग करा रहे हैं। दिल्ली के सात लाख घरों में आठ बार मच्छरों की ब्रीडिंग की जांच की जा चुकी है। इस पर एनजीटी ने कहा कि आप हर रोज हर जगह फॉगिंग करा ही नहीं सकते। आप सच नहीं बता रहे हैं। आप हमें फॉगिंग पर हुए खर्च का ब्योरा दीजिए। आपने पूरे सिस्टम का मजाक बना कर रख दिया है। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि फॉगिंग मानसिक रोगियों व गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक है।
प्रत्येक जिले में कमेटी
एनजीटी ने कहा है कि प्रिसिंपल कमेटी इस मुद्दे पर योजना बनाने व उसे लागू कराने के लिए जिम्मेदार होगी। इसके अलावा प्रत्येक जिले में एक जिला कमेटी का गठन किया जाए। इसमें अतिरिक्त जिला जज, चीफ मेडिकल ऑफिसर व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के अधिकारियों को शामिल किया जाए। ये कमेटी यह सुनिश्चित करे की इलाके में कहीं जलभराव न हो और कूड़ा एकत्रित न हो।
स्थानीय अस्पताल प्रशासन भी इस कमेटी से बैठक करें। सरकार ये सुनिश्चित करे कि किसी स्तर पर फंड की कमी नहीं आए और जो फंड जारी किया जा रहा है उसका सही इस्तेमाल हो। सरकारी व निजी अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीजों के लिए अलग से विशेष काउंटर की संख्या बढ़ाई जाए। एनजीटी ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी निर्देश दिया कि वह पुलिस थाने में मच्छर मार दवाइयों का छिड़काव करवाएं।
गलती स्वीकार नहीं करते अधिकारी
एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने कहा, अपने 24 साल के कार्यकाल के दौरान मैंने किसी भी सरकारी अधिकारी को अपनी गलती स्वीकार करते नहीं देखा। उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियां डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया को नियंत्रण करने में पूरी तरह से विफल रही हैं। इनके पास अपना कोई विजन नहीं है।
यह था मामला
पेश मामले में सेवानिवृत्त वैज्ञानिक महेंद्र पांडे ने ये याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में डेंगू व चिकनगुनिया का प्रकोप है और सरकारी तंत्र इस पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रहा है।
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