नजीब के इस्तीफे से भी जंग थमने के नहीं आसार, अब तनाव में AAP सरकार
उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफे के बाद तनाव का कारण शायद विकास की राह में उलझी आप सरकार को दिल्ली के हालात और खराब होने का डर है।

नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफे से दिल्ली सरकार को खुशी नहीं, बल्कि तनाव में दिख रही है। तनाव का कारण शायद विकास की राह में उलझी सरकार को दिल्ली के हालात और खराब होने का डर है। मगर सरकार को उम्मीद नहीं के बराबर है कि नया एलजी सरकार के साथ मिल कर काम करेगा। हालांकि सरकार का कहना है कि वह हर किसी के साथ कंधे से कंधा मिलने को चलने के लिए तैयार है।
सरकार को चिंता इसलिए है कि इस्तीफे का कारण वह समझ नहीं पा रही है। सरकार इसी उधेड़बुन में है कि आखिर जंग ने इस्तीफा क्यों दिया? जंग द्वारा अचानक दिए गए इस्तीफा को सरकार केंद्र की रणनीति से जोड़ कर जरूर देख रही है। यही कारण है कि इस पद आने वाले व्यक्ति को लेकर दिल्ली सरकार नजरें गड़ाई हुई हैं।
यह सर्वविदित है कि नजीब जंग और दिल्ली सरकार के बीच संबंध शुरू से ही खराब थे। दिल्ली सरकार ने महत्वपूर्ण मामलों में भी कई बार उपराज्यपाल से पूर्व अनुमति नहीं ली। वहीं उपराज्यपाल भी शुरू से ही दिल्ली सरकार के अधिकतर फैसले पलटते रहे।
यहां तक कि दिल्ली विधानसभा द्वारा पास कर भेजे गए दो दर्जन प्रस्ताव में से वैट संशोधन विधेयक को छोड़कर एक भी प्रस्ताव स्वीकृत होकर नहीं आया। 4 सितंबर के अदालत के आदेश के बाद उपराज्यपाल की ओर से यहां तक दिल्ली सरकार के अधिकारियों को निर्देश थे कि कोई भी अधिकारी मंत्री के पास कोई फाइल नहीं भेजेगा और उपराज्यपाल या केंद्र सरकार में होने वाली बैठकों के बारे में दिल्ली सरकार के मंत्रियों को जानकारी देगा।
बावजूद इसके दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार को जंग से व्यक्तिगत तौर पर कोई शिकायत नहीं है। जंग बुरे नहीं थे। मगर उन्हें आदेश कहीं और से मिल रहे थे। अधिकारों की लड़ाई में कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी कर दिल्ली सरकार को कुछ राहत दी थी।
इस टिप्पणी के बाद दिल्ली सरकार उपराज्यपाल जंग के व्यवहार में बदलाव देख रही थी। उस टिप्पणी के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने साफ तौर पर कहा था कि हमें उम्मीद जगी है कि जल्द ही हालात बदलेंगे। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उपराज्यपाल कार्यालय ने शुंगलू कमेटी की जांच से संबंधित कुछ फाइलें दिल्ली सरकार को सौंप दी थीं। उपराज्यपाल का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है।

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