पिता ने बेटी के साथ किया दुष्कर्म, कोर्ट ने कहा- दोगुनी सजा भी है कम
न्यायाधीश संजय शर्मा ने कहा कि दोषी ने अपने कृत्य से पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को ध्वस्त कर दिया। बच्चों की रक्षा करने वाला पिता ही उन्हें पीड़ा देगा तो पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह नहीं बचेगी जहां उन्हें पनाह दी जा सके।
नई दिल्ली [जेएनएन]। नाबालिग बेटी से दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने वाले पिता को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने माना कि अभियुक्त ने पीड़िता के शरीर और आत्मा को ही नहीं, बल्कि उसके जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा ने कहा कि दोषी ने अपने कृत्य से पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को ध्वस्त कर दिया है। अगर बच्चों की रक्षा करने वाला पिता ही उन्हें पीड़ा देने लगेगा तो पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह नहीं बचेगी जहां उन्हें पनाह दी जा सके। न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में मुआवजे की कोई रकम या कोई शब्द पीड़िता के घावों को भरने व सांत्वना देने का काम नहीं कर सकते।
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अदालत ने दिल्ली निवासी 37 वर्षीय व्यक्ति को 11 वर्षीय बेटी से दुष्कर्म कर गर्भवती करने और किसी को बताने की सूरत में उसे जान से मारने की धमकी देने के आरोपो में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता के मुताबिक दोगुनी सजा भी कम है, जिस तरह पहली बार पीड़िता से 11 वर्ष की उम्र में दुष्कर्म किया गया और अंतिम बार 14 वर्ष की उम्र में हुआ, जिससे वह गर्भवती हो गई। न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे नृशंस कृत्य का आरोपी किसी तरह की सहानुभूति व नरमी का हकदार नहीं।
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अभियोजन पक्ष के अनुसार 2012 में एक लड़की व उसकी मां की ओर से यह शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें 14 वर्षीय युवती का आरोप था कि उसके पिता ने घर में ही उससे कई बार दुष्कर्म कर किया। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। उसने बताया कि 11 वर्ष की उम्र में मां के सामने पिता ने दुष्कर्म किया और उन्हें भी किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। इस पर जून 2012 में एफआइआर दर्ज हुई।
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