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    करोड़पति पिता ने चार साल भीख मांगकर लड़ी बेटों के खिलाफ जंग, पढ़ें पूरी खबर

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Fri, 01 Dec 2017 01:25 PM (IST)

    दो बेटों ने करोड़ों की संपत्ति अपने नाम कराने के बाद बुजुर्ग पिता को घर से धक्के देकर निकाल दिया।

    करोड़पति पिता ने चार साल भीख मांगकर लड़ी बेटों के खिलाफ जंग, पढ़ें पूरी खबर

    गाजियाबाद (जेएनएन)। निवाड़ी थाने के अबूपुर गांव में दो बेटों ने करोड़ों की संपत्ति अपने नाम कराने के बाद बुजुर्ग पिता को घर से धक्के देकर निकाल दिया। बुजुर्ग ने दोनों बेटों के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और भीख मांगकर चार साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी।

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    कोर्ट ने बुजुर्ग की अर्जी पर सुनवाई करने के बाद दोनों बेटों को प्रत्येक माह 15-15 हजार रुपये देने का फैसला सुनाया है। अबूपुर गांव में निवासी महाराज सिंह (75) के दो बेटे रविंद्र और जितेंद्र हैं। जबकि, तीसरे बेटे लविंद्र की सात साल पहले मौत हो चुकी है। लविंद्र की मौत गोली लगने से हुई थी।

    महाराज सिंह की पत्नी की भी मौत हो चुकी है। उन्होंने अपनी करोड़ों रुपये की कृषि भूमि अपने तीनों बेटों में बांट दी थी। वह बेटे लविंद्र के पास रहते थे। लविंद्र की मौत के बाद रविंद्र और जितेंद्र ने उन्हें पेरशान करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी थोड़ी सी जमीन 47 लाख रुपये में बेच दी।

    यह रकम भी दोनों बेटों ने बुजुर्ग को डरा-धमकाकर हड़प ली। वह लविंद्र की मौत के बाद से सदमे में थे। इस बीच दोनों बेटों ने उन्हें डराकर तमाम संपत्ति अपने नाम करा ली। दोनों बेटों ने पिता को खाना देना बंद कर दिया। करीब छह साल पहले दोनों बेटों ने पिता के साथ मारपीट कर उन्हें घर से धक्के देकर निकाल दिया।

    कोई सहारा नहीं होने पर महाराज सिंह गढ़मुक्तेश्वर ब्रजघाट पहुंचकर एक मंदिर में रहने लगे। वह यहां भीख मांगकर गुजारा करते हैं।

    महाराज सिंह ने जुलाई 2013 में कोर्ट में अर्जी दाखिल करके बेटों से भरण-पोषण दिलाए जाने की गुहार लगाई। फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय के न्यायाधीश कमलेश कुमार ने मामले की सुनवाई करते हुए रविंद्र और जितेंद्र को आदेश दिया कि वह अपने पिता को 15-15 हजार रुपये देंगे।

    महाराज सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें दोनों बेटों से खर्चा मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने जनधन योजना के तहत खाता खुलवाया है। उनकी रकम इस खाते में आनी चाहिए।