बौद्ध धर्म का इतिहास खोजने की मुहिम, काशी से चीन जाएगी ASI की टीम
एएसआइ के अधिकारी काशी टू काशगर (पश्चिमी चीन का शहर) तक की यात्रा करेंगे। इसके तहत भारत के शहर काशी से यह यात्रा शुरू होगी और कई शहर होते हुए चीन के काशगर में खत्म होगी।
नई दिल्ली, विजयालक्ष्मी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार के इतिहास को खंगालने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत एएसआइ के अधिकारी काशी टू काशगर (पश्चिमी चीन का शहर) तक की यात्रा करेंगे। इसके तहत भारत के शहर काशी से यह यात्रा शुरू होगी और कई शहर होते हुए चीन के काशगर में खत्म होगी।
629-645 ईसवी के दौरान चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा संस्मरण के आधार पर चीन के शहरों में प्रसारित भारत की संस्कृति का भी अध्ययन किया जाएगा। इस योजना को संस्कृति मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। अब इस योजना को विदेश मंत्रालय से मंजूरी मिलने का इंतजार है। एएसआइ द्वारा तैयार इस योजना पर पांच करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
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योजना एएसआइ के महानिदेशक डॉ. राकेश तिवारी ने बनाई है और यह यात्रा उन्हीं की टीम द्वारा पूरी की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि यह तो सभी को पता है कि बौद्ध धर्म का जन्म बनारस के सारनाथ में हुआ और यहीं से पूरे विश्व में इसका प्रसार हुआ। बौद्ध धर्म के विस्तार के बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी किताब में कई स्थानों का जिक्र किया है।
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्धन काल में 17 साल काशी में रहे और बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। अपनी वापसी में उन्होंने इस रूट का जिक्र किया है। अधिकारी ने बताया कि इससे दोनों देशों के बीच परस्पर संबंध भी मजबूत होंगे। महानिदेशक द्वारा तैयार तीन पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक महात्मा बुद्ध के ज्ञान प्राप्त करने से लेकर बौद्ध धर्म के विस्तार में कई आयाम आए।
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महात्मा बुद्ध के साथ कई राजाओं ने इस धर्म का प्रचार प्रसार किया। सम्राट अशोक ने इसे कई देशों में प्रचार-प्रसार किया, जिसमें श्रीलंका, अफगानिस्तान, सीरिया व कश्मीर शामिल हैं। पांचवी ईसवी के आसपास बौद्ध धर्म का प्रसार चीन में हुआ। इस दौरान चीनी यात्री फाहियान ने बौद्ध धर्म के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। इसके प्रचार प्रसार मे उस समय के व्यापारियों ने भी अहम भूमिका निभाई और भारत की संस्कृति से भी प्रभावित हुए।
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