दिल्ली : सिर्फ परिवार के लोगों को थी नजीब जंग के इस्तीफे की जानकारी
ब केंद्र सरकार को अपना इस्तीफा भेजा और उसके बाद शाम को मीडिया को रिलीज जारी करने को कहा, तभी उपराज्यपाल कार्यालय में तैनात लोगों को इस बारे में पता चला।
नई दिल्ली (आशुतोष झा)। नजीब जंग के दिल्ली के उप राज्यपाल पद से इस्तीफे की जानकारी केवल उनके परिवार के लोगों को थी। उन्होंने जब केंद्र सरकार को अपना इस्तीफा भेजा और उसके बाद शाम को मीडिया को रिलीज जारी करने को कहा, तभी उपराज्यपाल कार्यालय में तैनात लोगों को इस बारे में पता चला।
उपराज्यपाल के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) अजय चौधरी कहते हैं कि नजीब जंग का फैसला चौंकाने वाला है। अभी तक उन्होंने इस्तीफे का कारण अपने पहले प्यार (अध्ययन-अध्यापन का क्षेत्र) को ही बताया है।
दिल्ली के पूर्ण राज्य नहीं होने से उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर होने वाली लड़ाई में चार अगस्त को हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल को सर्वोच्च बताया था। इसके बाद सरकार और राजनिवास के बीच दूरियां काफी बढ़ गई थीं।
कोर्ट के इस फैसले के बाद नजीब जंग ने दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की फाइलों की जांच के लिए शुंगलू कमेटी का गठन किया था, जोकि उनके उपराज्यपाल रहते सबसे बड़ा फैसला था। कमेटी ने नवंबर के आखिरी सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसका वह अध्ययन कर रहे थे।
नजीब जंग की खास बातें
18 जनवरी 1951 को दिल्ली में जन्मे नजीब जंग ने सेंट कोलंबस स्कूल में पढ़ाई की। सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक तथा स्नातकोत्तर किया। इसके बाद सामाजिक नीतियों व विकासशील देशों में योजनाओं पर एमएससी की उपाधि लेने के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की। 1973 में आइएएस बने।
उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला। 1994 से 1999 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे। एशियन डेवलपमेंट बैंक में वरिष्ठ ऊर्जा विशेषज्ञ के रूप में भी सेवाएं दीं। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड स्थित ऑक्सफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी स्टडीज के फेलो भी रहे।
दिल्ली स्थित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में एनर्जी रिसर्च के निदेशक भी थे। शिक्षण क्षेत्र से उनका खासा जुड़ाव रहा है। वर्ष 2009 से 2013 के बीच जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में कुलपति रहे।
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