एमसीडी बताए कहां गया सैलरी का पैसा: मनीष सिसोदिया
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में के दौरान आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस तरह आम आदमी पार्टी की मौजूदा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार और एलजी शासन की तुलना में एमसीडी को सैलरी के लिए ज्यादा रकम दी है।
नई दिल्ली। एमसीडी की हड़ताल के लिए दिल्ली सरकार ने कांग्रेस की पूर्व सरकार और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में के दौरान आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस तरह आम आदमी पार्टी की मौजूदा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार और एलजी शासन की तुलना में एमसीडी को सैलरी के लिए ज्यादा रकम दी है।
पिछले 4 साल के दौरान सैलरी के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से एमसीडी को दी गई रकम का विवरण
नार्थ के आंकड़े
2012-13 526 करोड़ रुपये (कांग्रेस सरकार)
2013-14 559 करोड़ रुपये (कांग्रेस सरकार)
2014-15 545 करोड़ रुपये (उप-राज्यपाल का शासन)
2015-16 893 करोड़ रुपये (आम आदमी पार्टी सरकार)
नार्थ एमसीडी के आंकड़े पेश करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि कांग्रेस के शासन की तुलना में आप पार्टी ने 313 करोड़ रुपये और 280 करोड़ रुपये ज्यादा दिए। एलजी के शासन की तुलना में आप पार्टी ने 348 करोड़ रुपये ज्यादा दिए।फिर किस आधार पर कहा जा रहा है कि हमने एमसीडी को कम पैसा दिया है?
ईस्ट के आंकड़े
2012-13 269 करोड़ रुपये (कांग्रेस सरकार)
2013-14 288 करोड़ रुपये (कांग्रेस सरकार)
2014-15 366 करोड़ रुपये (उप-राज्यपाल का शासन)
2015-16 466 करोड़ रुपये (आम आदमी पार्टी सरकार)
ईस्ट एमसीडी के आंकड़े पेश करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि कांग्रेस के शासन की तुलना में आप पार्टी ने 197 करोड़ रुपये और 178 करोड़ रुपये ज्यादा दिए। एलजी के शासन की तुलना में आप पार्टी ने 100 करोड़ रुपये ज्यादा दिए। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कांग्रेस और एलजी शासन की तुलना में काफी ज्यादा रकम सैलरी के लिए दी। सवाल ये है कि जब एमसीडी को कम रकम मिलती थी तब उसे सैलरी देने में दिक्कत नहीं होती थी, तब हड़ताल नहीं होती थी, अब जबकि ज्यादा रकम मिल रही है तब वो अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे रही। एमसीडी के नेताओं को बताना चाहिए कि ये पैसा आखिर गया कहां?
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