कुलबुर्गी के निधन पर बेंगलुरु में हुई थी शोक सभा: विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
कन्नड के मशहूर लेखक एम. एम. कलबुर्गी की पिछले दिनों हुई हत्या पर चुप्पी साधने के आरोपों को आधार बनाकर रविवार को गुजरात के प्रसिद्ध साहित्यकार गणेश देवे ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी।

नई दिल्ली। कन्नड के मशहूर लेखक एम. एम. कलबुर्गी की पिछले दिनों हुई हत्या पर चुप्पी साधने के आरोपों को आधार बनाकर रविवार को गुजरात के प्रसिद्ध साहित्यकार गणेश देवे ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी।
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने इसका खंडन करते हुए कहा कि वह विचारधारा के आधार पर किसी भी लेखक की हत्या किये जाने का हम विरोध करते हैं।
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ने एक बातचीत में बताया कि कुछ लोग इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं और गलत तरीके से इसे प्रस्तुत किया जा रहा है। अकादमी ने प्रसिद्ध कन्नड लेखक की हत्या के बाद बेंगलुरु में ही एक बड़ी शोक सभा का आयोजन किया था जिसमें साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार जो स्वयं कन्नड़ के प्रतिष्ठित लेखक हैं उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी।
ज्ञात हो कि अब तक पांच लेखकों ने अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है लेकिन साहित्य अकादमी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभी लेखक उदय प्रकाश के अलावा किसी भी लेखक का कोई पत्र इस संबध में प्राप्त नहीं हुआ है।
अकादमी के अध्यक्ष ने बताया कि अकादमी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आदर करती है और सभी लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जाति धर्म या वर्ण या संप्रदाय या राष्ट्रीयता के प्रति निरपेक्ष रहती है।
कन्नड़ लेखक की हत्या और देश की स्थिति का हवाला देते हुए साहित्य अकादमी पुरस्कार लगातार लौटाने के मामले के बाद अब लेखकों एक धड़ा इसके विरोध में उतर आया है।
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष की लगातार हो रही आलोचना के बाद अब कई लेखक साहित्य अकादमी के बचाव में भी उतर आए हैं। वरिष्ठ लेखिका और दिल्ली हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा ने खुलकर सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए लिखा- बहुत हो चुका, अकादमी पुरस्कार को लोग लौटाए चले जा रहे हैं, लग रहा है जैसे एक को देखकर दूसरे पर रंग चढ़ रहा है कि कहीं वह पीछे न रह जाएं शहीदों में नाम लिखाने से। अपनी ही अकादमी को उखाड़ पछाड़ रहे हैं क्योंकि और किसी पर बस नहीं चलता। नहीं सोचते कि वे खुद क्यों ऐसे बेअसर हो गये हैं कि राह अपने ही घर में आग लगाकर दिखानी पड़ रही है। अब आप शहादत पर नहीं, बेढंगी शरारत पर उतरे हैं साहित्यकार के नाम पर ...साथ ही उन साहित्यकारों को अपमानित कर रहे हैं, जिनके पास अकादमी पुरस्कार नहीं हैं।भयानक से भयानक कांड हुए हैं और आप अकादमी अवार्ड को बंदरिया के बच्चे की तरह गले से चिपकाये रहे यश के रूप में, इस कृत्य की भी जबावदेही बनती है अब तो !
प्राप्त जानकारी के अनुसार हिंदी के वरिष्ठ लेखक गिरिराज किशोर, मलयालम के लेखक एमटी वासुदेवन नायर और लेखिका सुमत कुमारी सहित कई लेखकों ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे लोगों पर तंज कसा है।

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