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    लिफाफे के अंदर था उमर-कन्हैया के कत्‍ल का फरमान - किसने दिया, पढ़ें खबर

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Mon, 18 Apr 2016 10:14 AM (IST)

    अमित जानी ने पत्र में लिखा था कि अब तुम सात लोग हो और तुम्हारे पास तीन हथियार हैं। मौका देखो और क्लब, कैंटीन, लाइब्रेरी जहां भी उमर और कन्हैया दिखे उन ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [ विनीत त्रिपाठी ] । उमर खालिद और जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार की हत्या के लिए नव निर्माण सेना अध्यक्ष अमित जानी ने ही जेएनयू के एक छात्र के लिए डीटीसी बस रूट संख्या - 615 से एक पिस्टल, चार कारतूस और पत्र भेजा था।

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    अमित जानी ने पत्र में लिखा था कि अब तुम सात लोग हो और तुम्हारे पास तीन हथियार हैं। मौका देखो और क्लब, कैंटीन, लाइब्रेरी जहां भी उमर और कन्हैया दिखे उन्हें ठोक दो। उसने छात्रों को यह भी आश्वासन दिया कि वह उन्हें कुछ नहीं होने देगा और जल्द ही जमानत करवा देगा।

    बैग में मिले पत्र से एक और सनसनीखेज बात सामने आई है। पुलिस सूत्रों की माने तो अमित जानी ने पत्र में लिखा है कि 9 एमएम के दो पिस्टल ही मिल पाए थे, जिसे वह पहले ही भेज चुका है। उसने लिखा कि अब 9 एमएम की पिस्टल नहीं मिल रही है, इसलिए 32 बोर की पिस्टल भेज रहा हूं। तुम बस परिचालक से मिलकर ले लेना।

    उसने आगे लिखा कि अब तुम्हारे पास तीन पिस्टल है। अमित ने पत्र में लिखा कि तुम दो हो और 5 बाहरी लड़के मैं भेज रहा हूं, जो तुम्हारी मदद करेंगे। उसने यह भी लिखा कि उमर खालिद अगर अकेले मिले तो उसी से काम चला लेना। बस याद रखना, वार खाली न जाए।

    रिसीव करने से पहले निकल गई बस
    सूत्रों की माने तो बृहस्पतिवार को जेएनयू के जिस छात्र को डीटीसी बस में से हथियार से भरा बैग रिसीव करना था। उसे उक्त स्थान पर पहुंचने में देरी हो गई थी। जिसके कारण वह हथियार को रिसीव नहीं कर सका।

    पत्र का सच तलाशने में जुटी पुलिस
    डीटीसी बस में मिली 32 बोर की पिस्टल और चार कारतूस के बाद आइबी, स्पेशल सेल, नई दिल्ली और दक्षिणी जिला की पुलिस अमित जानी के जानकार जेएनयू के दोनों छात्र समेत सात लोगों का पता लगाने में जुटी है। पुलिस जेएनयू पहुंच चुके 9 एमएम की पिस्टल की भी जांच कर रही है।

    कौन है अमित जानी
    मेरठ के जानी क्षेत्र निवासी नवनिर्माण सेना अध्यक्ष अमित जानी पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की लखनऊ में मूर्ति तोडऩे के बाद चर्चा में आया था। कई महीने तक जेल में रहने के बाद वह जमानत पर रिहा हुआ था। उसने जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी और सेना के खिलाफ कन्हैया कुमार के बयान पर उसे 31 मार्च के बाद गोली मारने का ऐलान किया था।