लोकतंत्र बचाओ मार्च में कन्हैया ने कहा- 'मैं देशविरोधी नहीं, RSS विरोधी हूं'
देशद्रोह के मामले में जेल में बंद जेएनयू छात्रों उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को रिहा करने की मांग करते हुए कन्हैया ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से कहा कि या तो वह अपने पद से इस्तीफा दें या माफी मांगे। मार्च में कन्हैया कुमार के गृह नगर
नई दिल्ली। असम के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पोस्टर ब्वॉय बने जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा है कि वह देशविरोधी, नहीं बल्कि संघ विरोधी है। कल निकाले गए लोकतंत्र बचाओ मार्च में उसने विपक्ष के किसी नेता की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा।
बुलेट ट्रेन, जनधन योजना, कालेधन की वापसी सहित कई मुद्दों पर चुटकी ली। वह कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के विवादस्पद बयान और आतंकी संगठन आइएस का समर्थन करता नजर आया।
उसने कहा कि अगर आइएस न होता, तो देश में तेल के दाम नहीं घटते। मार्च में प्रख्यात लेखिका अरुंधति राय, माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी. राजा समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
यहां बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना आइएसआइएस से की है, जिसकी चौतरफा आलोचना हो रही है। कन्हैया ने कश्मीर में तैनात सेना के जवानों के खिलाफ दिए गए अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि सत्तापक्ष सैनिकों और छात्रों को लड़वाने की कोशिश कर रहा है।
जेएनयू में देशविरोधी गतिविधियों को लेकर कानूनी शिकंजे में फंसे कन्हैया समेत अन्य छात्रों को आरोप मुक्त करने की मांग को लेकर वाम छात्र संगठनों ने मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च निकाला।
इसमें आइसा, केवाईएस, एआडीएसओ, एसएफआइ, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया समेत अन्य संगठनों के लोग मौजूद रहे। बाद में यह मार्च संसद मार्ग पर सभा में तब्दील हो गया।
इस्तीफा दें स्मृति ईरानी
देशद्रोह के मामले में जेल में बंद जेएनयू छात्रों उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को रिहा करने की मांग करते हुए कन्हैया ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से कहा कि या तो वह अपने पद से इस्तीफा दें या माफी मांगे। मार्च में कन्हैया कुमार के गृह नगर बेगुसराय से भी कुछ एआइएसएफ के छात्र हिस्सा लेने आए हुए थे।