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    जानें, GB रोड पर छापे के समय युवतियों को कहां छिपाया जाता है?

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sun, 04 Sep 2016 07:46 PM (IST)

    दिल्ली में जब कभी भी किसी परीक्षा का सेंटर पड़ता है तो बाहरी राज्यों से आने वाले परीक्षार्थी परीक्षा देने के बाद जीबी रोड के इन कोठों का रुख करते हैं।

    नई दिल्ली (राकेश कुमार सिंह)। दिल्ली के रेड लाइट इलाके जीबी रोड पर कोठों के जरिए अरबपति बने दंपती अफाक हुसैन और सायरा बेगम से क्राइम ब्रांच द्वारा पूछताछ में हैरान करने वाली जानकारी मिल रही है। अफाक के अलावा करीब 12 और ऐसे लोगों के बारे में जानकारी मिली है, जो जीबी रोड पर कोठे खोल जिस्मफरोशी के धंधे से करोड़पति बन चुके हैं।

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    साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि देश में प्रतिबंधित यह धंधा राजधानी में सरकारी तंत्र की शह पर फलफूल रहा है। कानून विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस की मानें तो भारत सरकार के आइटीपी एक्ट का सेक्शन 18 एक और दो कहता है कि देश में कहीं भी कोठा चलाना पूरी तरह अवैध है।

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    एक्ट के मुताबिक, यदि किसी इलाके में स्थानीय पुलिस को कोठा चलने की जानकारी मिलती है तो वह उसकी पूरी रिपोर्ट (जिसे सरकारी शब्द में कलंदरा कहते हैं) तैयार कर इलाके के संबंधित एसडीएम को भेज दें। एसडीएम उस रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लेकर कोठे को सील कर सकता है। साथ ही उसे चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देश दे सकता है।

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    बताया जाता है कि कमला मार्केट थाना पुलिस पिछले पांच वर्षो में करीब 50 से अधिक बार एसडीएम को रिपोर्ट भेज चुकी है कि जीबी रोड पर कहां-कहां कोठे चल रहे हैं। वहां से कब-कब और किन-किन किशोरियों, युवतियों और महिलाओं को मुक्त कराया गया है, इसकी भी रिपोर्ट एसडीएम को दी गई। साथ ही वहां युवतियों को किस तरह मानव तस्कर गिरोह बहला कर या जबरन लाए और उन्हें कोठा मालिक एवं मालकिनों के हाथों बेच दिए, इसकी रिपोर्ट भी दी गई। इसके बावजूद एसडीएम ने आजतक किसी भी कोठे को सील नहीं किया।

    कोठों को बंद कराने के आधार

    जिन मापदंडों के आधार पर कोठों को बंद कराया जा सकता है, उसके सारे आधार सरकारी तंत्र के पास मौजूद हैं। कानून के मुताबिक, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च जैसे धार्मिक स्थल एवं अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान के अलावा नोटिफाइड मार्केट के 200 मीटर के दायरे में कोठे नहीं चलाए जा सकते हैं।

    जीबी रोड पर स्थित मार्केट तो नोटिफाइड नहीं है, लेकिन बीचोंबीच एक हनुमान मंदिर है। 200 मीटर के दायरे में अजमेरी गेट पर एंग्लो एरोबिक स्कूल है। बताया जाता है कि ट्रस्ट के इस स्कूल से पाकिस्तान के पहले गर्वनर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना भी पढ़ाई कर चुके हैं। जीबी रोड के पीछे फसील रोड पर दो मस्जिद भी हैं। इसके बावजूद कोठे धड़ल्ले से चल रहे हैं।

    बिल्डिंग मालिक भी हैं जिम्मेदार

    जीबी रोड पर चकला घर चलाने वाले तो जिम्मेदार हैं ही, साथ ही वे भी जिम्मेदार है जिन्होंने अपनी बिल्डिंग किराये पर या लीज पर दे रखा है। सरकारी तंत्र अब तक यह पता नहीं लगा पाया है कि बिल्डिंग के असली मालिक कौन हैं।

    आइटीपी एक्ट का सेक्शन-3 कहता है कि यदि किसी के घर में चकला घर चलाया जाता है तो उसके खिलाफ भी बराबर की कार्रवाई की जाए। कार्रवाई से बचने के लिए बिल्डिंग मालिक को पुलिस के समक्ष यह सुबूत पेश करना होगा कि चकला घर चलाए जाने की जानकारी उन्हें नहीं थी।

    तहखाने तोड़वाने जरूरी

    पुलिस का कहना है कि जीबी रोड के कोठे पर कोठा संचालक छापेमारी के दौरान युवतियों को छिपाने के लिए हिडेन सेल यानी तहखाना बनाए हुए हैं, जहां छापेमारी के दौरान युवतियों को छिपा दिया जाता है। यह भी पूरी तरह अवैध है। उन्हें तोड़ने के लिए भी पुलिस सैकड़ों बार दिल्ली नगर निगम को पत्र लिख चुकी है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है। यदि तहखाने को तोड़वा दिया गया होता तो युवतियों को कोठे पर नहीं छिपाया जा सकता है।

    पंजाब, राजस्थान और हरियाणा से भी आते हैं लोग

    पुलिस का कहना है कि दिल्ली में जब कभी भी किसी परीक्षा का सेंटर पड़ता है तो बाहरी राज्यों से आने वाले परीक्षार्थी परीक्षा देने के बाद इन कोठों का रुख करते हैं। इस कारण अफाक , शहनाज और रशीद आदि के कोठों पर भारी भीड़ बढ़ जाती है। नियमित ग्राहकों में सबसे अधिक पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से लोग कोठों पर आते हैं। क्राइम ब्रांच अब बड़ी मछलियों को पकड़ने की योजना बना रही है।