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    भूकंप के खतरों के मद्देनजर महफूज हो दिल्ली की इमारतेंः HC

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sun, 14 Feb 2016 11:40 AM (IST)

    याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने DDA और MCD को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि भूकंप के खतरों के मद्देनजर यहां पर इमारतों के निर्माण के दौरान खास ध्यान दिया जाए। यह निर्देश दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस बदर दुर्रेज अहमद और संजीव सचदेवा की की

    नई दिल्ली। देश में भूकंप का हर झटका राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की इमारतों के लिए खतरे का संकेत है। दिल्ली के सिसमिक जोन-4 में आने के चलते भूकंप का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने इमारतों में निर्माण के दौरान भूकंपरोधी नियमों का पालन करने की बात कही है।

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    इस बाबत कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और दिल्ली नगर निगम (MCD) को निर्देश भी जारी किया है। नेपाल जैसा भूकंप दिल्ली में आने की स्थिति में इमारतों के बचाव को लेकर इंतजाम पर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।

    याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने DDA और MCD को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि भूकंप के खतरों के मद्देनजर यहां पर इमारतों के निर्माण के दौरान खास ध्यान दिया जाए। यह निर्देश दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस बदर दुर्रेज अहमद और संजीव सचदेवा की की बेंच ने दिया है।

    यहां पर बता दें कि जानकार भी आगाह करते हैं कि अंधाधुंध फैली इमारतें, कमजोर तैयारियां और नाकाफी आकलन दिल्ली और उससे सटे इलाकों को कमजोर शिकार बनाने को काफी हैं।

    कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस बाबत दिल्ली नगर दो सप्ताह के भीतर अपना प्लान दिल्ली सरकार को दें। इसके बाद दिल्ली सरकार चार सप्पाह के भीतर यह प्लान अंतिम अंजाम तक पहुंचाए। इस मामले में अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी।

    पेशे से अधिवक्ता अर्पित भार्गव ने दिल्ली हाईकोर्ट जनहित याचिका दायर की है। इसमें सवाल किया गया है कि नेपाल जैसा भूकंप आने के दौरान क्या दिल्ली में इमारतें महफूज हैं।

    यहां पर याद दिला दें कि दिल्ली की इमारतों को लेकर विशेषज्ञ पहले ही यह आशंका जता चुके हैं कि ये हल्के भूकंप को भी नहीं झेल सकती हैं।

    सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट (सीएसई) पहले ही बता चुका है कि दिल्ली की 80 फीसदी इमारतें निर्माण के लिए तय मानदंडों पर खरी नहीं उतरतीं और अगर यहां हल्का या मध्यम दर्जे का भूकंप भी आता है तो भारी तबाही मच सकती है। सीएसई ने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के नियमों के उल्लंघन पर चिंता जताई है।

    सीएसई के वरिष्ठ शोधकर्ता का अविकल सोमवंशी का कहना है कि दिल्ली में हल्का भूकंप भी बेहद खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि यहां भवन निर्माण के तय मानदंडों का पालन नहीं किया गया है।

    तेजेंद्र खन्ना कमेटी की रिपोर्ट भी करती है इसी ओर इशारा
    सीएसई ने साल 2006 में गठित तेजेंद्र खन्ना कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि इस रिपोर्ट में भी साफ तौर पर कहा गया था कि 80 फीसदी निर्माण बिल्डिंग एंड डेवलपमेंट कंट्रोल रेग्युलेशन्स पर खरे नहीं उतरते।

    सीएसई के अनुसार, अप्रैल 2011 में दिल्ली सरकार ने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर जो नियम बनाए थे, उसके बाद प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के आवेदनों में कमी आई है। इसकी वजह यह है कि यह नियम काफी सख्त थे और इसमें निर्माण प्रमाण पत्र हासिल करना कठिन था।