दिल्ली के अफसरों का CBI पर गंभीर आरोप- 'हमें काम नहीं करने दे रहेे'
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सीबीआइ के व्यवहार से ऐसा लग रहा है कि दिल्ली के विकास को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। ताजा मामला अस्पतालों में पूरी दवाएं उपलब्ध कराने वाली स्वास्थ्य विभाग की योजना के लिए एप तैयार करने का है।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने सरकार को सूचित किया है कि सीबीआइ योजनाओं पर काम नहीं करने दे रही है। उन्हें परेशान किया जा रहा है। सीबीआइ काम नहीं करने के मौखिक आदेश जारी कर रही है। अधिकारी ऊहापोह की स्थिति में हैं।
इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि CBI दिल्ली सरकार के अफ़सरों को फ़ोन पे निर्देश दे रही है कि कौन सा ठेका किस कंपनी को दिया जाए और किसे ना दिया जाए?
केजरीवाल ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें अपनी सरकार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है।
केजरीवाल ने लिखा है कि सीबीआइ दिल्ली सरकार के अफसरों से अब भी पूछताछ कर रही है। केजरीवाल ने कहा है कि अधिकारियों ने इस बाबत खुलासे किए हैं कि उनसे पूछा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल अपॉइंटमेंट कैसे मिलता है?
केजरीवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री मेरे बारे में जानकारी चाहते हैं। इसमें टीम गठित करने की क्या जरूरत है। मैं खुद आऊंगा और सारे सवालों के जवाब दूंगा। मेरे पास कुछ भी छिपाने के लिए नहीं है।
वहीं, अधिकारी कह रहे है कि यदि यही हालात रहे तो दिल्ली का विकास भी प्रभावित हो सकता है। अधिकारी सीबीआइ पर प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस बारे में अपनी राय दे चुके हैं।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सीबीआइ के व्यवहार से ऐसा लग रहा है कि दिल्ली के विकास को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। ताजा मामला अस्पतालों में पूरी दवाएं उपलब्ध कराने वाली स्वास्थ्य विभाग की योजना के लिए एप तैयार करने का है।
एप बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने सरकारी कंपनी इंटेलीजेंस कम्युनिकेशन सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड (आइसीएसआइएल) की मदद ली है। इस कंपनी में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के तहत दिल्ली स्टेट इंडस्टियल एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएसआइआइडीसी) का शेयर है।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सरकारी हिस्सेदारी होने के कारण इस कंपनी की मदद ली गई। गत दिनों सीबीआइ ने उन्हें तलब कर आइसीएसआइएल से काम नहीं कराने का मौखिक आदेश जारी किया।
उन्होंने कहा कि यदि कंपनी अयोग्य है तो लिखित में दे दें तो वह इस कंपनी से काम नहीं कराएंगे। सीबीआइ ने लिखित में नहीं दिया, उल्टा धमकाया कि राजेंद्र कुमार जल्दी ही जेल जाने वाले हैं और तुम भी जाओगे।
उनसे कहा गया कि कई अधिकारी बात मान चुके हैं और तुम भी सोच-समझ लो, नहीं तो तुम्हारा करियर बर्बाद हो जाएगा। तुम्हें अपने परिवार की चिंता नहीं है। सीबीआइ निरीक्षक उन्हें अपने सीनियर के पास ले गया। वह भी कैडर में उनसे जूनियर था।
उस अधिकारी ने भी उनके साथ इसी तरह बात की, लेकिन किसी जांच से संबंधित कोई बात नहीं हुई। अगले दिन जब वह कार्यालय आए तो सीबीआइ की तरफ से एक पत्र मिला, जिसमें कुछ प्रश्न थे जिनका उत्तर उन्होंने भेज दिया। इसी तरह एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सीबीआइ ने उन्हें भी फोन कर करीब छह बार बुलाया।
हर बार उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री का कार्यालय कैसे चलता है। सरकार के पीछे कौन लोग हैं? लीगल मामलों में कौन राय देता है? आइएएस अधिकारियों से संबंधित विभिन्न मामलों को लेकर उन्हें कौन समझाता है? इनपुट कहां से आते हैं? वर्किंग मैकेनिज्म क्या है?
केजरीवाल के निजी सचिवों का क्या योगदान रहता है? उनका कहना है सीबीआइ ने जो भी उनसे पूछा, उसमें जांच से संबंधित कम मुख्यमंत्री कार्यालय से संबंधित अधिक बातें थीं।

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