Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्लीः यदि ऐसा ही रहा तो 30 साल के बाद नहीं बचेगा भूजल

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 22 Mar 2016 12:15 PM (IST)

    राजधानी में लोग भूजल का इस्तेमाल तो अधिक करते हैं, लेकिन जल संचयन पर ध्यान नहीं देते हैं। यही कारण है कि दिल्ली जल संचयन में फिसड्डी साबित हो रही है।

    नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। राजधानी में लोग भूजल का इस्तेमाल तो अधिक करते हैं, लेकिन जल संचयन पर ध्यान नहीं देते हैं। यही कारण है कि दिल्ली जल संचयन में फिसड्डी साबित हो रही है। दिल्ली के भूगर्भ में जितना पानी उपलब्ध है, उसका 76 फीसद हिस्सा खारा होने के चलते इस्तेमाल लायक नहीं है। इसमें फ्लोराइड भी मिला हुआ है। सिर्फ 24 फीसद ही साफ पानी है। दोहन अधिक व वर्षा जल संचयन कम होने से भूगर्भ में मौजूद साफ पानी से हर साल 1050 लाख क्यूसिक मीटर पानी अधिक खर्च हो रहा है। यह बात केंद्रीय भूजल नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए सर्वे में सामने आई है। यदि इसी तरह भूजल के स्टॉक से पानी का दोहन होता रहा और जल संचयन नहीं बढ़ा तो 30 साल बाद भूजल इस्तेमाल के लायक नहीं बचेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्रीय भूजल नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार और जल बोर्ड को वर्षा जल संचयन के लिए पुख्ता इंतजाम करने की सलाह दी है। केंद्र सरकार के नेशनल एक्यूफर मैपिंग कार्यक्रम के तहत केंद्रीय भूजल नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली के भूगर्भ की मैपिंग की है। इसका मकसद यह पता लगाना था कि दिल्ली में जमीन के नीचे किन-किन जगहों पर चट्टान हैं और उनका स्तर क्या है। भूजल और उसकी गुणवत्ता का आकलन भी किया गया। आकलन में यह बात सामने आई कि दिल्ली में जमीन के अंदर 134910 लाख क्यूसिक मीटर पानी है। इसमें 102840 लाख क्यूसिक मीटर पानी लवण युक्त है। सिर्फ 32070 लाख क्यूसिक मीटर पानी साफ है।

    हर साल 3920 लाख क्यूसिक मीटर भूजल का दोहन हो रहा है, जबकि हर साल मात्र 2870 लाख क्यूसिक मीटर पानी रिचार्ज किया जाता है। इस तरह हर साल 1050 लाख क्यूसिक मीटर अधिक पानी का दोहन हो रहा है। ऐसे में साफ पानी का स्टॉक 30 साल तक ही चल पाएगा। भूजल दोहन का आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि दिल्ली में दो लाख से अधिक ट्यूबवेल हैं। दिल्ली जल बोर्ड ही छह हजार ट्यूबवेल संचालित करता है।