HC का फैसला, कामकाजी तलाकशुदा महिला को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता
दिल्ली हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में एक कामकाजी महिला को गुजारा भत्ता देने से इन्कार कर दिया। पीठ ने कहा कि महिला एक पेशेवर है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली हाई कोर्ट (DHC) ने घरेलू हिंसा के मामले में एक कामकाजी महिला को गुजारा भत्ता देने से इन्कार कर दिया। पीठ ने कहा कि महिला एक पेशेवर है। वह बीते 13 साल से चार्टर्ड अकाउंटेंट के पेशे में है। ऐसे में उसे अंतरिम गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता है।
न्यायमूर्ति प्रदीप नन्दराजोग और प्रतिभा रानी की खंडपीठ के समक्ष महिला ने अपने व अपने दो बच्चों के अच्छे जीवन के लिए पति से तीन लाख रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दिए जाने की मांग की थी। निचली अदालत से निराशा हासिल होने पर महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सभी परिस्थितियों पर गौर डालने के बाद खंडपीठ ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि महिला की याचिका में दम है। याचिकाकर्ता स्वयं चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वह वर्ष 2003 से इस पेशे में हैं। वह स्वयं कमाने में सक्षम है। अदालत ने महिला की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने महज सात हजार रुपये प्रतिमाह कमाने की बात कही थी।
खंडपीठ ने कहा कि सात हजार रुपये की राशि तो न्यूनतम आय के कानून से भी कम है। 13 साल तक चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशे में रहने के बाद महज सात हजार रुपये प्रतिमाह कमाने की दलील विश्वास योग्य नहीं है।
इससे पूर्व निचली अदालत ने महिला के पति को यह आदेश दिया था कि वह अपने दो बच्चों के अच्छे जीवन यापन के लिए 22,900 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे। महिला के पेशेवर होने के कारण उसे गुजारा भत्ता दिए जाने से अदालत ने इन्कार कर दिया था।
अपनी याचिका में महिला का कहना था कि उसकी शादी वर्ष 2005 में हुई थी। शादी से उनके दो बच्चे हुए। पति इलेक्टिक इंजीनियर हैं और अपना व्यवसाय करते हैं। महिला स्वयं भी एम्स अस्पताल में काम करती हैं। पति से मतभेद होने के कारण वह अलग हो गई थी। अदालत में तलाक के लिए याचिका लगाने के साथ-साथ महिला ने पति से तीन लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता दिए जाने की भी मांग की थी।

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