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    दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी AAP सरकार

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Fri, 05 Feb 2016 09:16 AM (IST)

    निजी स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा लागू करने के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार को झटका दिया है। अब आप सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।

    नई दिल्ली। निजी स्कूलों में मैनेजमेंट कोटा लागू करने के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार को झटका दिया है। अब आप सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।

    आज सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के मैनेजमेंट कोटा ख़त्म करने वाले सर्कुलर में नियमों की अनदेखी साफ दिखाई दे रही है।

    कोर्ट ने कहा कि इसमें 2007 के उपराज्यपाल के आदेश की अनदेखी की गई है। हाई कोर्ट ने 62 क्राइटेरिया में से सिर्फ 11 को ही इजाजत दी है। अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।

    सुनवाई में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई के दौरान नर्सरी दाखिले में मैनेजमेंट कोटे से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना ऑर्डर रिजर्व रखा था।

    अब एक बार फिर नजरें कोर्ट पर हैं, क्योंकि कोर्ट के आदेश के बाद ही अब यह साफ हो पाएगा कि नर्सरी दाखिले में मैनेजमेंट कोटा रहेगा या नहीं। मैनेजमेंट कोटे के साथ-साथ अब यह भी साफ हो जाएगा कि प्राइवेट स्कूलों के 62 क्राइटेरियों का क्या होगा।

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    दिल्ली सरकार ने मैनेजमेंट कोटा खत्म करने को लेकर आदेश जारी किया था। दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि ये आदेश स्कूलों की स्वायत्ता पर हमला है।

    पिछली सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों के एसोसिएशन ने कोर्ट में कहा कि 62 क्राइटेरियों में करीब दर्जन भर ऐसे क्राइटेरिया हैं जिन्हें रहना चाहिए। प्राइवेट स्कूल जिस कोटे को चाहते हैं उनमें म्यूजिक, खेल, ट्रांसपोर्ट, फर्स्ट चाइल्ड एवं गर्ल चाइल्ड शामिल है।

    दिल्ली सरकार ने मैनेजमेंट कोटे को बताया था रैकट

    एडमिशन में मैनेजमेंट कोटा खत्म करने के अपने आदेश का बचाव करते हुए दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में कहा था कि मैनेजमेंट कोटा एक रैकेट है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में मौजूद थे।

    दिल्ली सरकार ने पैरेंट्स की सील बंद शिकायतें कोर्ट को लिफाफे में सौंपी थी। कोर्ट में दिल्ली सरकार का कहना था कि ये शिकायतें पैरेंट्स की हैं और इसे सीलबंद लिफाफे में इसलिए सौंपा गया है, क्योंकि पैरेंट्स अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते हैं।

    उधर, स्कूलों के वकील ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार सिर्फ सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को ही आदेश दे सकती है। स्कूलों की इस दलील का सरकार ने यह कह कर विरोध किया था कि स्कूल ऐसा कोई भी क्राइटेरिया नहीं चुन सकती है, जो भेदभाव वाले होगा।

    कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछे थे कई सवाल

    स्कूलों की याचिका पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मैनेजमेंट कोटे पर कई सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक तो उपराज्यपाल ही ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं पर दिल्ली सरकार ने मैनेजमेंट कोटा खत्म करने का आदेश किस आधार पर दिया है?

    इस पर दिल्ली सरकार का जवाब था कि उपराज्यपाल की पावर शिक्षा निदेशक को सौंपी गई है। इसके बाद कोर्ट का कहना था कि 2007 में जो आदेश एक्सपर्ट बॉडी (गांगुली कमेटी) की सिफारिशों को ध्यान में रख कर बनाया गया था, क्या दिल्ली सरकार ये कहना चाहती है कि वो आदेश गलत थे?