निर्भया कांड के दोषियों की अपील पर आज से होगी नियमित सुनवाई
फांसी की सजा पाए निर्भया कांड के दोषियों की अपील पर सुप्रीमकोर्ट आज से नियमित सुनवाई शुरू करेगा। निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को फांसी की सजा सुनाई है जिसके खिलाफ चारों सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। फांसी की सजा पाए निर्भया कांड के दोषियों की अपील पर सुप्रीमकोर्ट आज से नियमित सुनवाई शुरू करेगा। निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को फांसी की सजा सुनाई है, जिसके खिलाफ चारों सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैैं। सुप्रीमकोर्ट के आदेश से फिलहाल उनकी फांसी पर रोक लगी है।
सुप्रीमकोर्ट का नियम है कि फांसी की सजा पाए दोषियों की अपीलों पर तीन न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करती है। इस मामले में दोषियों की याचिका पर न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा व न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ सुनवाई करेगी। सुप्रीमकोर्ट में ये मामला पिछले दो साल से लंबित है। दो साल बाद अपीलों पर नियमित सुनवाई शुरू होगी।
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में पैरा मेडिकल की छात्रा निर्भया (नाम बदला) सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी। दुष्कर्मियों के अमानवीय व्यवहार और चोटों के कारण बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस कांड से पूरा देश हिल गया था और बाद में दुष्कर्म से जुड़े कानून में भी बदलाव कर उसे कठोर किया गया ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का दोहराव न हो।
साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सितंबर 2013 में चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन, और विनय को फांसी की सजा सुनाई थी। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2014 को मुहर लगा दी थी। हाईकोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनका अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी सुप्रीमकोर्ट आये हैैं।
निर्भया कांड का एक आरोपी नाबालिग था जिस पर जुविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत जुविनाइल बोर्ड में मुकदमा चला। कानून के मुताबिक वह अपनी सजा पूरी कर छूट चुका है। हालांकि नाबालिग के छूटने पर भी देश में लंबी बहस छिड़ी जिसके बाद कानून में संशोधन किया गया और जघन्य अपराध में आरोपी 16 से 18 वर्ष के बीच के किशोरों पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाने के दरवाजे खोले गये।
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