पुस्तक मेले में सास्कृतिक जागरूकता को मिल रही तरजीह
- वैदिक साहित्य और धार्मिक ग्रन्थों की चर्चाएं अधिक - धार्मिक प्रतीकों की प्रिंट टीशर्ट भी आ र
विकास पोरवाल, नोएडा :
एक कॉफी की प्याली और एक शात कोना, किताब के किरदारों में डूब जाने वाले को और क्या चाहिए। दिल्ली पुस्तक मेले की यही खासियत पुस्तक प्रेमियों को भा रही है। प्रगति मैदान में आयोजित दिल्ली पुस्तक मेला 2017 लेखकों और पाठकों दोनों को एक दूसरे से रूबरू करा है। बुक लाचिंग, प्रमोशन जैसे कार्यक्रम तो हो ही रहें हैं, पाठकों के लिए सबसे मुफीद रीडर्स कॉर्नर है। यहां पुस्तक प्रेमी आराम से अपनी मनचाही किताबों के पन्ने पलट सकते हैं।
वेदों की ओर लौट रहे युवा
हाल ही में हुए राम रहीम मामले का असर पुस्तक मेले पर भी पड़ा है। ऐसे में यहा आए लोगों की बातचीत में ये मामला प्रमुखता से शामिल रहा। मेले में आए एक खरीदार ने बातों ही बातों में अपने साथियों से एक प्राचीन सूत्रवाक्य कहा, वेदों की ओर लौटो।
उनका कहना था कि हम अपने प्राचीन ग्रंथों की सार्थकता भूल रहे हैं, तभी ऐसे तथाकथित संतों के चंगुल में फंस रहे हैं। मेले में धार्मिक स्टॉल पर लोगों की रुचि वैदिक ग्रन्थों में बखूबी दिखी। चारों वेदों के अलावा महाभारत और गीता की अलग-अलग भाषाओं की रचनाओं की भी माग दिखाई दी।
बुद्ध धम्म स्टॉल में बुध धर्म के ग्रंथ, जातक कथाएं और शिक्षाप्रद किताबें विशेष पसंद की गईं। हाल 9 में गूंजता बुद्धम् शरणम् गच्छामि का सूत्र वाक्य दैवीय शाति का आभास करा रहा था। एक तरफ सहज ध्यान योग का विशेष शिविर आयोजित किया गया था। आगंतुकों को निशुल्क ध्यान की महत्ता समझाते हुए 5-10 मिनट का प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
प्रतीक चिह्न प्रिंटेड कपड़ों का क्रेज
युवाओं में धार्मिक प्रतीक, सूत्र वाक्य प्रिंटेड कपड़ों का खास क्रेज दिखा। महात्मा बुद्ध, साईं बाबा प्रिंटेड टीशर्ट हिट लिस्ट में शामिल थी। साईं बाबा के ब्रेसलेट, कड़े भी पसंद किए गए। अकेले बुद्ध धम्म स्टॉल पर ही भगवान बुद्ध, बौद्ध वाक्य और अन्य सूत्रवाक्यों की प्रिंटेड टीशर्ट विभिन्नताओं के साथ उपलब्ध थी।
बाल साहित्य को भी मिली वरीयता
थीम के अनुसार पुस्तक मेला का मुख्य आकर्षण बाल साहित्य ही हैं। हॉल 9 और 10 के स्टॉल में बच्चों के लिए कई शिक्षाप्रद कहानियों के संकलन हैं। यहां टैगोर-विवेकानंद के बचपन व किशोरवय के प्रसंग भी हैं तो साथ ही कपोल-कल्पनाओं की रोमांचक कहानियों को भी जगह मिली हुई है। हालांकि बच्चों के बीच पुस्तक मेला सार्थक लोकप्रिय तो नहीं है, लेकिन अभिभावक इस ओर ध्यान दे रहें हैं। साहित्य अकादमी के स्टॉल में भी बाल साहित्य ने अपनी जगह बनाई है। सर्व शिक्षा अभियान की शुभंकर मीना की कहानी भी यहां उपलब्ध है।
साहित्य के आँगन में थोड़ी सी चूक भी
पुस्तक मेले की थीम इस बार पढ़े भारत, बढ़े भारत रखी गई है, लेकिन इसके लिखने में छोटी सी चूक हो गई है। हाल 10 में बनाए गए बच्चों के लिए विशेष कक्ष में ये थीम बैनर लगाया गया है, जिस पर पढ़ें भारत, बढ़ें भारत लिखा है। इस बारे में आयोजक समिति से बात की तो उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए अफसोस जनक बताया, साथ ही कहा कि थीम के जरिए शिक्षा की योजनाओं को बढ़ावा देने की कोशिश है और साहित्य शैक्षिक प्रगति की जिम्मेदारी बखूबी निभाता है। दिल्ली पुस्तक मेले में आगे कई व्यापक और जरूरी बदलाव किए जाएंगे।