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    सीएनजी किट घोटालाः केजरीवाल करेंगे राष्ट्रपति से मुलाकात

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Mon, 08 Jun 2015 01:34 PM (IST)

    दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय सीएनजी किट घोटाला मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सीएनजी किट लगाने का ठेका दो कंपनियों का दिया गया था। आरोप है ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान सीएनजी किट घोटाला मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात आज कभी भी हो सकती है। बता दें, पूर्व कांग्रेस की सरकार में सीएनजी किट लगाने का ठेका दो कंपनियों का दिया गया था। आरोप है कि इसमें 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान दिल्ली सरकार को उठाना पड़ा था।

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    एसीबी करेगी जांच

    पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत वर्ष 2002 का 100 करोड़ रुपये का कथित सीएनजी फिटनेस घोटाला फिर खोल दिया। इसमें शीला दीक्षित सरकार के दौरान काम कर चुके तीन शीर्ष अधिकारी जांच के घेरे में हैं।

    घेरे में केंद्र सरकार व उपराज्यपाल भी

    आम आदमी पार्टी ने पिछले साल दिसंबर में 2002 के सीएनजी फिटनेस घोटाले के मामले को उठाया था और सीबीआई द्वारा दिल्ली सरकार के शीर्ष नौकरशाहों को आरोपी बनाए जाने पर केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग की जारी खामोशी पर निशाना साधा था।

    क्या था घोटाला
    दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय सीएनजी किट लगाने ठेका दो कंपनियों को दिया गया था। बताया जाता है कि इसमें 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान दिल्ली सरकार को उठाना पड़ा था। जांच के दायरे में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खास नौकरशाह जीएम सपोलिया और पीके त्रिपाठी भी हैं।

    दरअसल दिल्ली में एक कंपनियों को सीएनजी किट लगाने का ठेका दिया गया था, लेकिन इसमें कई खामियां मिली। बिना टेंडर के ठेका दिया गया। इसमें खर्च सरकार कर रही थी और आमदनी कंपनी ले रही थी। फर्जी फिटनेस टेस्ट करके पैसा लिया जा रहा था।

    सीबीआई ने जांच करके अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को दी, लेकिन उसके बावजूद उपराज्यपाल ने दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच को मामला दर्ज करने की अनुमति नहीं दी थी। हालांकि सीबीआई की जांच रिपोर्ट और एंटी करप्शन ब्रांच की जांच के बावजूद इस घोटाले की बड़ी मछलियों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका था।