'आप' ने नियम को किया बाइपास, अब फंदे में फंसी सरकार
पूरा मामला 'टॉक टू एके' नाम के जिस कार्यक्रम से सीधे जुड़ा हुआ है। इसके आयोजन की जिम्मेदारी सरकार ने एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को दिया था।
नई दिल्ली [जेेनएन]। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआइ द्वारा प्रारंभिक जांच का केस दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू हो चुकी है। जांच एजेंसी की टीम ने सरकार के जनसंपर्क विभाग से सोशल मीडिया के जरिए 'टॉक यू एके' कार्यक्रम के आयोजन से संबंधित दस्तावेजों को खंगाला। जिसमें इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि उक्त कार्यक्रम का आयोजन में नियमों की अनदेखी की गई।
दरअसल, पूरा मामला 'टॉक टू एके' नाम के जिस कार्यक्रम से सीधे जुड़ा हुआ है। इसके आयोजन की जिम्मेदारी सरकार ने एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को दिया था। आरोपों के मुताबिक बिना टेंडर प्रक्रिया पूरी किए सरकार ने कंपनी को काम सौंप दिया। सरकार का मकसद प्रधानमंत्री के 'मन की बात' के तर्ज पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए 'टॉक टू एके' का आयोजन करना था।
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निजी पब्लिक रिलेशन कंपनी ने आनन फानन में काम शुरू कर दिया। इस काम की अनुमानित लागत 1.5 करोड़ थी। फाइल जनसंपर्क विभाग से बनी और 1.5 करोड़ के बजट की यह फाइल वित्त सचिव के टेबल पर जा पहुंची। विभाग के सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन वित्त सचिव ने न केवल इस फाइल को मंजूरी देने से इंकार कर दिया बल्कि उस पर नोटिंग भी की। नोटिंग में रूल बुक को धत्ता बताने और बिना निविदा की प्रक्रिया के पब्लिक रिलेशन कंपनी को 1.5 करोड़ के काम पर आपत्ति जाहिर करते हुए इसे विजिलेंस जांच का मामला भी लिख डाला।
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जिसके बाद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंत्री होने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उक्त कार्यक्रम के लिए बजट स्वीकृत कर दिया। बाद में इसकी स्वीकृति कैबिनेट से भी ले ली गई। इतना ही नहीं कार्यक्रम के आयोजन संबंधी फाइल को मंजूरी नहीं देने वाले तत्कालीन वित्त सचिव का तबादला कर दिया गया। जुलाई के आखिर में हुई इस प्रकरण के बाद 4 अगस्त को जब दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिकारियों की लड़ाई को लेकर उपराज्यपाल के अधिकार को अधिक बताया और सरकार चलाने की जिम्मेदारी के लिए गेंद उनके पाले में डाल दिया। तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने सभी विभागों को आदेश दिया की अपने फाइल राजनिवास भेजे।
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उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की फाइल जांचने के लिए शुंगलू कमेटी का गठन किया। इन फाइलों की छानबीन में जो सात अहम मामले सामने आए उसमें 'टॉक टू एके' कार्यक्रम का आयोजन भी शामिल है। वित्त सचिव के पद से हटाए गए अधिकारी तब विजिलेंस सचिव के रूप में जिम्मेदारी संभाल लिए और वह टेंडर प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी से अवगत थे, उन्होंने तुरंत इस मामले को सीबीआइ को बढ़ा दी गयी। जिसकी अब जांच शुरू हो गई है।
सरकार में एक लाख से अधिक के बजट के लिए टेंडर जरूरी
आमतौर पर एक लाख से अधिक के बजट वाले सरकारी कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया जरूरी होती है। लेकिन बगैर टेंडर के 1.5 करोड़ रुपये का काम पब्लिक रिलेशन कंपनी को दे दिया गया, यही इस कार्यक्रम के आयोजन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। दूसरा तरीका है एक्स पोस्ट फैक्टो अप्रुवल जिसका इस्तेमाल आपात स्थिति में होता है और सरकार कैबिनेट अप्रुवल के जरिए बिना टेंडर, बजट अलॉट कर सकती है, किसी खास एजेंसी को काम दे सकती है।
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