'आप' के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंचे डॉक्टर रायजादा, हस्तक्षेप की मांग
जून 2016 के बाद से 'आप' ने चंदा देने वालों का नाम वेबसाइट पर नहीं डाला है। यह दर्शाता है कि चंदे के मामले में वित्तीय पारदर्शिता की उनकी बात पूरी तरह से छलावा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित सदस्य और चंदा बंद सत्याग्रह के संयोजक डॉक्टर मुनीश रायजादा ने आम आदमी पार्टी द्वारा वित्तीय पारदर्शिता के नाम पर जनता को धोखा देने के संबंध में चुनाव आयोग को एक पत्र भेजकर मांग की है कि आयोग इस मामले में हस्तक्षेप करे।
पत्र में डॉ. रायजादा ने लिखा है कि आम आदमी पार्टी यह दावा करती है कि पार्टी के वित्तीय मामलों में वह 100 फीसदी पारदर्शिता बरतती है। पार्टी को चंदे में मिले पैसों के साथ-साथ पार्टी गतिविधियों पर खर्च होने वाले पाई-पाई के हिसाब को भी वेबसाईट पर अपलोड किया जाता है। लेकिन हकीकत इससे अलग है। जून 2016 के बाद से 'आप' ने चंदा देने वालों का नाम वेबसाइट पर नहीं डाला है। यह दर्शाता है कि चंदे के मामले में वित्तीय पारदर्शिता की उनकी बात पूरी तरह से छलावा है। पार्टी एक तरफ इमानदारी और पारदर्शिता की बड़ी-बड़ी बातें करती है, जबकि दूसरी तरफ दानदाताओं के लिस्ट को ही वेबसाइट से हटा लिया गया है।
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डॉ. रायजादा इस समय आम आदमी पार्टी की गलत नीतियों के खिलाफ चंदा बंद सत्याग्रह चला रहे हैं। इस सत्याग्रह के माध्यम से जनता से आग्रह किया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी जब तक चंदा देने वालों का लिस्ट वेबसाइट पर नहीं डालती है, तब तक उसे चंदा नहीं दिया जाए। इसके लिए लोगों से एक समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर भी कराया जा रहा है।
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रायजादा का कहना है कि इस अभियान को लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। केवल दिल्ली में ही 20 हजार से ज्यादा लोगों ने इस समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। रायजादा शिकागो में डॉक्टर हैं। वे शुरू से ही आम आदमी पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ भारत में पार्टी हित के अनेकों काम किए हैं, बल्कि देश से बाहर भी एनआरआइ लोगों से चंदे के माध्यम से पार्टी के लिए फंड जुटाने में अहम भूमिका अदा की है। नवंबर 2015 में इन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था, क्योंकि इन्होंने केजरीवाल द्वारा लालू यादव के सपोर्ट का खुला विरोध किया था।
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