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    DUSU चुनाव: ABVP-एनएसयूआइ ने किया उम्मीदवारों को एलान, 12 को मतदान

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 06 Sep 2017 09:26 PM (IST)

    फिलहाल डूसू पर एबीवीपी का कब्जा है, लिहाजा इस बार एबीवीपी के लिए अपनी साख बचाना बड़ी चुनौती होगी।

    DUSU चुनाव: ABVP-एनएसयूआइ ने किया उम्मीदवारों को एलान, 12 को मतदान

    नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSE) के लिए 12 सितंबर को मतदान होना है। इस बीच बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने अपने-अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। 

    ABVP

    अध्यक्ष- रजत चौधरी

    उपाध्यक्ष- पार्थ राणा

    सेक्रेटरी- महामेधा नागर

    ज्वाइंट सेक्रेटरी- उमा शंकर

    NSUI

    अध्यक्ष- रॉकी तुसीद

    उपाध्यक्ष- कुनाल सहरावत

    सेक्रेटरी- मीनाक्षी मीणा

    ज्वाइंट सेक्रेटरी- अविनाश यादव

    ABVP और NSUI द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची पर नजर डालें तो दोनों ही छात्र संघों ने सेक्रेटरी पद ही महिलाओं को उतारा है। 

    ऐसे में डूसू के संभावित प्रत्याशी पूरी जी-जान के साथ अपना प्रचार करने में लगे हुए हैं। यह संभावित प्रत्याशी दूसरों के साथ अपनों को भी अपनी ताकत का अहसास कराने की कोशिश में लगे हुए हैं। क्योंकि खुद को दूसरे के साथ ही अपने यहां के भावी प्रत्याशियों में भी 21 साबित करना है, तभी डूसू का टिकट फाइनल हो पाएगा।

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    दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव 12 सितंबर को आयोजित किए जाएंगे। चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की आखिरी तारीख 4 सितंबर है। नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 6 सितंबर है और उसी दिन शाम को उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट की घोषणा भी की जाएगी।

    यह जरूर जानें

    डूसू चुनाव में डीयू में सक्रिय छात्र संगठन चुनाव से पहले संभावित प्रत्याशी घोषित करते हैं। 12 सितंबर को होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए डीयू के छात्र सुबह 8.30 से 12.30 बजे के बीच वोट कर सकेंगे, तो वही इवनिंग कॉलेज में वोटिंग के लिए 3 बजे से 7 बजे तक का वक्त रखा गया है। डीयू के मुताबिक वोट और परिणामों की गिनती की तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी। 

    य़ह है वर्तमान स्थिति

    फिलहाल डूसू पर एबीवीपी का कब्जा है, लिहाजा इस बार एबीवीपी के लिए अपनी साख बचाना बड़ी चुनौती होगी। वहीं एनएसयूआइ अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की कोशिश में है, जो पिछले कुछ चुनावों से मात खा रही है।

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