400 करोड़ के घोटाले में घिरीं शीला दीक्षित, AAP ने की CBI जांच की सिफारिश
आप सरकार ने शीला दीक्षित के खिलाफ 400 करोड़ के कथित पानी टैंकर घोटाले में सीबीआइ या भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जांच की सिफारिश की है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आम आदमी पार्टी सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ 400 करोड़ रुपये के कथित पानी टैंकर घोटाले में सीबीआइ या भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जांच की सिफारिश की है।
यह कदम दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की ओर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कथित घोटाले की तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग के बाद उठाया गया है।
इससे संबंधित तैयार रिपोर्ट के साथ प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल को भेजे गए पत्र में जल मंत्री कपिल मिश्र ने शीघ्र कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कथित घोटाले में कार्रवाई करने की मांग कर रही भाजपा से कहा है कि अब दो माह के अंदर भाजपा के लोग मोदी जी से कह कर शीला दीक्षित को जेल भिजवाएं, नहीं तो मोदी जी से इस्तीफे की मांग करें।
कपिल मिश्र ने विधानसभा में विपक्ष की ओर से इस मसले पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने जांच की सिफारिश सीबीआइ और एसीबी से कर दी है।
कपिल मिश्र ने कहा हमने तो जांच और एफआइआर की सिफारिश कर दी है, लेकिन यह डर है कि अंबानी, अडानी के मामलों की तरह केंद्र सरकार कहीं इस मामले को भी ठंडे बस्ते में न डाल दे। वह इस मामले में केंद्र को दो माह का समय देते हैं।
अगर केंद्र सरकार में हिम्मत है तो शीला दीक्षित पर एफआइआर करके दिखाए नहीं तो हमें 24 घंटे के लिए एसीबी दे दे, शीला दीक्षित समेत अन्य लोग सलाखों के पीछे होंगे। उन्होंने सवाल किया कि इस समय एसीबी पर केंद्र सरकार का कब्जा है।
शीला दीक्षित के खिलाफ एसीबी में पहले से भी तीन मुकदमे दर्ज हैं, उन पर भी कार्रवाई नहीं हो रही। आरोप है कि वर्ष 2013 में पानी के टैंकर खरीदने में 400 करोड़ रुपये का घपला किया गया है। उस समय दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी।
कपिल मिश्र ने मामले की जांच के लिए 19 जुलाई को कमेटी गठित की थी। समिति की रिपोर्ट का हवाला देते अगस्त में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन्होंने पत्र लिखा था।
उन्होंने केजरीवाल को अवगत कराया था कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन जल बोर्ड की अध्यक्ष शीला दीक्षित तथा जल बोर्ड के अन्य सदस्यों द्वारा टैंकरों के माध्यम से पानी वितरण करने के मामले में बार-बार कानून को नजरअंदाज किया गया।
मिश्र का दावा है कि रिपोर्ट में शीला दीक्षित आदि नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ पूरे सुबूत हैं। उधर, इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बात करने से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम है कि विधानसभा में क्या हुआ है, इसलिए इस बारे में वह अभी कुछ नहीं कहेंगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।