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    मूलभूत सुविधाओ के अभाव में जीने को मजबूर ग्रामीण

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    Updated: Tue, 30 Jan 2018 08:00 PM (IST)

    फोटो-29, पीकेटी-15 से 26 तक चलो गांव की ओर- ¨झगोला गांव मतदाता- 2200 जनसंख्या- 6000 स ...और पढ़ें

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    मूलभूत सुविधाओ के अभाव में जीने को मजबूर ग्रामीण

    फोटो-29, पीकेटी-15 से 26 तक <ढ्डह्म> चलो गांव की ओर- ¨झगोला गांव <ढ्डह्म> मतदाता- 2200<ढ्डह्म> जनसंख्या- 6000<ढ्डह्म> साक्षरता- 70 प्रतिशत <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> 70 वर्ष पुराने ¨झगोला गांव में आज भी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं। जनता तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधि व प्रशासन के द्वारा किसी प्रकार की कोई कोशिश नही की गई। आबादी बढ़ने के साथ-साथ लोगो की जरूरतें भी बढ़ी है, लेकिन लोगो को बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नही हो सकी। जिस वजह से यहां पर नालियो के गंदे पानी की निकासी की कोई सुचारु व्यवस्था न होने के कारण सड़को पर ही गंदा पानी जमा रहता है। डलावघर के अभाव में जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है। कई साल पहले बनी गलियां जर्जर हो चुकी हैं। छह साल पहले पानी की पाइपलाइन डाली गई थी, लेकिन आज तक पानी की आपूर्ति नही की गई। <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> ऐतिहासिक विशेषता- <ढ्डह्म> गांव के बुजुर्गों के मुताबिक यह गांव 70 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था। भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय पाकिस्तान से पंजाबी समुदाय के लोग यहां आकर बस गये थे। गांव में साल 1968 और 1978 के समय प्रलयकारी बाढ़ भी आ चुकी हैं। शुरुआत से लेकर आज तक गांव के लोगो का मुख्य पेशा खेतीबाड़ी ही रहा। गांव के अधिकतर लोग निम्न आय वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> सुचारु नही है निकासी व्यवस्था- <ढ्डह्म> झंगोला गांव की सबसे गंभीर समस्या नाली के गंदे पानी की निकासी की है। निकासी की सही व्यवस्था नही होने के कारण गलियो व सड़को पर हर समय पानी भरा रहता है। इससे यहां रहने वाले लोगो को तो दिक्कतें होती ही हैं, बाहर से आने वाले लोग भी परेशान होते हैं। इसकी वजह यह है कि पांच साल पहले यहां नालियां तो बनवा दी गई, लेकिन रखरखाव पर किसी ने ध्यान नही दिया। ग्रामीणो के मुताबिक निगम कर्मचारी कभी भी नालियो की सफाई नही करते और नाली गांव तक ही बनी हुई है। इसका आउटफॉल ही नही है। जिस वजह से गंदा पानी सड़क पर जमा रहता है व खाली प्लॉट में भरा रहता है। गंदा पानी भरे रहने से हमेशा दुर्गंध आती है। साथ ही मच्छरजनित बीमारी से भी लोगो को जूझना पड़ रहा है। प्रतिनिधियो को कई बार शिकायत करने के बावजूद भी हालात वैसे ही हैं। <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> जगह-जगह पसरा है कूड़ा- <ढ्डह्म> जहां एक ओर स्वच्छता अभियान की बात चल रही है, वही ¨झगोला गांव में स्वच्छता का नामोनिशान तक नही दिखता। बल्कि जगह-जगह कूड़ा पसरा हुआ दिखाई देता है। जिसकी वजह से ग्रामीण काफी परेशान रहते हैं। यहां तक की गांव के फिरनी रोड के किनारे पर भी कूड़े का ढेर लगा हुआ है। गांव वालो के मुताबिक यहां सफाई कर्मचारी कभी भी दिखाई नही देते। शिकायत करने पर अगर किसी दिन आ भी जाए, तो नाममात्र की ही सफाई करके चले जाते हैं। कूड़ा उठाने वाली टिपर गाडि़यां भी जब शुरुआत में चलाई गई थी, तभी गांव में आया करती थी। वह भी कई महीनो से गांव में न आने के कारण लोग मजबूरी में खाली प्लॉटो में कूड़ा डाल देते हैं। ग्रामीणो द्वारा प्रतिनिधियो को कई बार शिकायत करने के बाद भी स्थिति पहले जैसी ही है। <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> जर्जर गलियो में चलना हुआ मुहाल- <ढ्डह्म> गांव की अधिकांश पुरानी गलियां जर्जर हो चुकी हैं। जिन पर से आवागमन करने में लोगो को काफी दिक्कतें होती हैं। लोगो के मुताबिक सबसे ज्यादा दिक्कतें रात को दुपहिया वाहन चालको को होती है। रात के अंधेरे में उबड़-खाबड़ गलियो में दुपहिया वाहन चालक असंतुलित होकर गिर पड़ता है और चोटिल तक हो जाता है। इसकी वजह यह है कि आज से पांच साल पहले जो गलियां बनी थी। उनकी मरम्मत आज तक नही की गई। जिस वजह से वह गलियां धीरे-धीरे ज्यादा जर्जर हो गई और आज उनपर से आवागमन करने में लोगो को दो चार होना पड़ रहा है। साथ ही गांव में कई गलियां ऐसी हैं जिसे आज तक पक्का नही किया गया। जिस वजह से बरसात के समय उन गलियो से चलने में लोगो को काफी परेशानी होती है। जर्जर गलियो की मरम्मत के लिए प्रतिनिधियो को कई बार शिकायतें की गई, लेकिन समस्या बरकरार है। <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> लोगो की जुबानी- <ढ्डह्म> गांव में 2012 में सप्लाई का पानी मुहैया कराने के उद्देश्य से पानी की पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन आज तक पानी की सप्लाई नही की गई। मजबूरी में ग्रामीणो को समरसीबल का पानी ही पीना पड़ रहा है। जिससे आए दिन कोई न कोई बीमार पड़ जाता है। <ढ्डह्म> - रगवीर प्रधान <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> गांव में नालियां के गंदे पानी की निकासी न होना व कई जगहो से नालियां टूटी होने के कारण गंदा पानी खाली प्लॉटो में ही जमा रहता है। पानी जमा होने के कारण दुर्गंध तो आती ही है साथ में मच्छरजनित बीमारी से भी गांव में कई लोग ग्रस्त हैं। <ढ्डह्म> - बंता ¨सह <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> गांव में एक साल पहले तक डीटीसी की बस नंबर 129 आती थी, लेकिन उसे भी बंद कर दिया गया। जिसकी वजह से हम लोगो का काफी दिक्कतें झेलते हुए यहां से आठ किलोमीटर दूर बख्तावरपुर गांव जाकर बस या ग्रामीण सेवा वाहन पकड़ना पड़ता है। <ढ्डह्म> - सुरेंद्र कुमार <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> यहां पर 70 प्रतिशत स्ट्रीट लाइटें खराब हालात में हैं। लाइटो को लेकर कई बार स्थानीय पार्षद के कार्यालय में जाकर शिकायत की गई है, लेकिन एक भी शिकायत पर कार्रवाई नही की गई। जिस वजह से रात के अंधेरे में लोगो को सड़को व गलियो से आवाजाही करने में दिक्कतें होती हैं। <ढ्डह्म> - रंजीत ¨सह <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> डिस्पेंसरी जो कि एक मूलभूत सुविधा होती हैं। इसका भी अभाव हमारे गांव में है। डिस्पेंसरी के अभाव में गांव वालो को यहां से आठ किलोमीटर दूर बख्तावरपुर गांव जाकर अपना इलाज करवाना पड़ता है। अगर गांव में भी डिस्पेंसरी बन जाए तो हम लोगो को सहूलियत मिले। <ढ्डह्म> - बलजीत ¨सह <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> यहां की हर गलियो में बिजली के खंभे कम लगे हुए हैं। जिसकी वजह से एक बिजली के खंभे से दूसरे बिजली के खंभे तक तार लोगो को घरो के ऊपर से होकर जाती है। जिससे हर पल हादसा होने की संभावना बनी रहती हैं। <ढ्डह्म> - सूच्चा ¨सह <ढ्डह्म> <ढ्डह्म> प्रतिनिधियो का आश्वासन- <ढ्डह्म> नालियो की सफाई के लिए सफाई कर्मचारी रोजाना भेजे जाते हैं और कर्मचारी सफाई भी करते हैं। वहां के कई लोग खुद ही नाली तोड़कर उसका गंदा पानी खेतो के लिए छोड़ देते हैं। जिस वजह से पानी सड़को पर भी जमा रहता है। गांव में कई लोगो ने डेयरी भी खोल रखी है, जिस वजह से जगह-जगह गोबर भी जमा रहता है। मेरे क्षेत्र में आने वाले हर गांव में डलावघर के लिए जगह ढूंढी जा रही हैं। जैसे ही हमे इस गांव में भी डलावघर के लिए जगह मिल जाएगी, यहां भी डलावघर बना दी जाएगा। जिससे कूड़े की समस्या खत्म हो जाएगी।<ढ्डह्म> - सुनीत चौहान, स्थानीय पार्षद<ढ्डह्म>

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