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    'आप' विधायकों की अयोग्यता का मामला: HC ने डिविजन बेंच को केस किया ट्रांसफर

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Tue, 30 Jan 2018 12:33 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 20 'आप' विधायकों की याचिका डिविजन बेंच को ट्रांसफर कर दी है। विधायकों ने खुद को अयोग्य घोषित किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट मे ...और पढ़ें

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    'आप' विधायकों की अयोग्यता का मामला: HC ने डिविजन बेंच को केस किया ट्रांसफर

    नई दिल्ली [जेएनएन]। लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर अब हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी। सोमवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने कहा कि मंगलवार को वह मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश करेंगे, जो मामले में दो सदस्यीय पीठ का गठन करेंगी या फिर किसी मौजूदा दो सदस्यीय पीठ को सौंपने का आदेश देंगी। 

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    रिकॉर्ड पेश करने का आदेश

    वहीं, इससे पूर्व कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह जल्दबाजी में 29 जनवरी तक चुनाव की तारीख घोषित न करे, यह तारीख भी अब बढ़ा दी गई है। पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में उप चुनावों के एलान पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने इसके अलावा चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को 6 फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। हाई कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने से संबंधित सभी रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है।

    विधायकों की सदस्यता रद करने की सिफारिश

    बता दें कि पिछले हफ्ते 'आप' विधायकों ने अपनी सदस्यता रद किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। दरअसल 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से 'आप' के 20 विधायकों की सदस्यता रद करने की सिफारिश की थी। जिसके बाद कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था।

    विधायकों की सदस्यता रद 

    21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए 20 विधायकों की सदस्यता रद कर दी थी। बाद में 'आप' विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद किए जाने को चुनौती दी।

    कब-कब क्या हुआ

    - 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था।

    - मई 2015 में चुनाव आयोग के समक्ष डाली गई थी एक जनहित याचिका।

    - 19 जून 2015 को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया।

    - 8 सितंबर 2016 को अदालत ने 21 'आप' विधायकों की संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्तियों को खारिज कर दिया था। अदालत ने पाया था कि इन विधायकों की नियुक्तियों का आदेश उपराज्यपाल की सहमति के बिना दिया गया था।

    - 22 जून 2017 को राष्ट्रपति की ओर से यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह 'लाभ का पद' है इसलिए 'आप' विधायकों की सदस्यता रद की जानी चाहिए। तब चुनाव आयोग ने 'आप' विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया और उन्हें तकरीबन छह माह का समय दिया था।

    19 जनवरी 2018 को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से 'आप' के 20 विधायकों की सदस्यता रद करने की सिफारिश की थी।

    21 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए 20 विधायकों की सदस्यता रद कर दी।  

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