Move to Jagran APP

वर्षा जल संचयन व निकासी का सूत्रधार बनेगा मौसम विभाग

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली अगर मौसम विभाग की योजना पर ईमानदारी से अमल हुआ तो इस साल दिल्ली में बारिश

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 01:00 AM (IST)
वर्षा जल संचयन व निकासी का सूत्रधार बनेगा मौसम विभाग
वर्षा जल संचयन व निकासी का सूत्रधार बनेगा मौसम विभाग

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

loksabha election banner

अगर मौसम विभाग की योजना पर ईमानदारी से अमल हुआ तो इस साल दिल्ली में बारिश का पानी नाले नालियों में नहीं बहेगा। दिल्ली वासियों को जलभराव की समस्या से भी नहीं जूझना पडे़गा और जल संरक्षण भी किया जा सकेगा। योजना का महाराष्ट्र के वर्धा जिले में पिछले वर्ष सफल प्रयोग हो चुका है।

गौरतलब है कि देश के अन्य हिस्सों की तरह ही राजधानी में भी वर्षा जल संचयन की बातें और कागजी कार्रवाई ज्यादा होती है जबकि हकीकत में उस पर अमल कम। इसीलिए हर साल एक बड़ी मात्रा में बारिश का पानी सड़कों और नाले-नालियों में व्यर्थ बह जाता है। स्थानीय स्तर पर मानसून की तैयारी भी ठीक से नहीं होती, इसीलिए जगह-जगह जल भराव की समस्या भी उत्पन्न होती है। इन्हीं सब समस्याओं का समाधान मौसम विभाग की अनूठी योजना करेगी।

वाटसएप ग्रुप पर मौसम विज्ञानी, जल- बोर्ड, आपदा प्रबंधन और नगर निगम के सभी अधिकारियों को जोड़ा जाएगा। इस ग्रुप पर हर सप्ताह मौसम विज्ञानी अगले एक सप्ताह का विस्तृत पूर्वानुमान जारी करेंगे कि उस सप्ताह में बारिश कैसी रहेगी तथा किस क्षेत्र में भारी और कहां हल्की होने की उम्मीद है। इस पूर्वानुमान के साथ-साथ यह भी बताया जाएगा कि कहां पर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो सकती है और कहां पर जल संरक्षण एवं भूजल स्तर बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं।

इस पूर्व सूचना के आधार पर आपदा प्रबंधन और नगर निगम के अधिकारी संबंधित क्षेत्र में जल भराव की स्थिति से निपटने की तैयारी कर सकेंगे। वहीं जल बोर्ड के अधिकारी भारी वर्षा की संभावना वाले क्षेत्र में पानी की बर्बादी रोकने और उसके संरक्षण की दिशा में तैयारी कर सकेंगे।

मौसम विभाग ने इस योजना को पिछले साल महाराष्ट्र के वर्धा जिले में लागू किया। नतीजा, वहां इसके बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आए। जल संरक्षण भी हुआ व पानी की निकासी भी बेहतर ढंग से हो सकी। इसीलिए इस साल विभाग ने इस योजना को दिल्ली में क्रियान्वित करने की तैयारी की है। विभाग की ओर से जल्द ही इस आशय का एक पत्र भी उक्त सभी एजेंसियों को भेजा जा रहा है। अप्रैल माह में एक बैठक भी रखी जा सकती है।

बचाया जा सकता है करीब तीन माह का पानी

मानसून के दौरान राजधानी में करीब 200 क्यूबिक मिलियन लीटर पानी किसी पुख्ता तैयारी के अभाव में व्यर्थ चला जाता है। अगर यह पानी बचाया जा सके तो दिल्ली वासियों की तीन महीने तक की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।

-एसए नकवी, कन्वीनर, सिटीजन फ्रंट फॉर वाटर डेमोक्रेसी।

ईमानदारी से हुए प्रयास तो परिणाम भी मिलेंगे खास

देखिए, इस योजना पर सकारात्मक परिणाम पाने के लिए ईमानदारी बहुत जरूरी है। हम तो संबंधित विभागों की इतनी ही मदद कर सकते हैं कि उन्हें अगले सप्ताह दस दिन तक का सटीक पूर्वानुमान दे दें। अब उसके अनुरूप काम स्थानीय निकायों और सरकारी विभागों को ही करना होगा। हमारे स्तर पर यह योजना जल्द ही पूरी तैयारी के साथ क्रियान्वित कर दी जाएगी। वर्धा में ईमानदार कोशिशों के साथ ही इस योजना के खूब बेहतर रिजल्ट आए थे।

-डा. के. जे. रमेश, महानिदेशक, भारत मौसम विज्ञान विभाग।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.