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    यूपी चुनावः हवा में SP-कांग्रेस गठबंधन, दोनों पार्टियों को जमीन की तलाश

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Fri, 27 Jan 2017 09:27 PM (IST)

    पुराने और वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं की आपसी गुटबाजी का खामियाजा प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है।

    यूपी चुनावः हवा में SP-कांग्रेस गठबंधन, दोनों पार्टियों को जमीन की तलाश

    गाजियाबाद (जेएनएन)। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के पहले चरण के मतदान को कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन जमीन पर नजर नहीं आ रहा है। आलम यह है कि SP-कांग्रेस गठबंधन को ध्यान में रखकर एक तरफ अन्य पार्टियों के प्रत्याशी जीत-हार का आकलन कर विधानसभा क्षेत्र में जहां अपनी पकड़ मजबूत बनाने के प्रयास में हैं तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी जिले में अपनों को ही मनाने में लगे हैं।

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    ... तो दोनों पार्टियों को हो सकता है नुकसान

    पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं की आपसी गुटबाजी का खामियाजा प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है। दोनों दलों की कोई संयुक्त रणनीति अभी नहीं बनी है। प्रदेश में जहां वर्तमान सरकार गठबंधन से आश्वस्त दिखाई दे रही है, वहीं दूसरी ओर गाजियाबाद में यह गठबंधन कोई खास प्रभाव बनाता नहीं दिखाई दे रहा है।

    सपा का भी एक खेमा नाराज

    कांग्रेस ने युवा चेहरों को दरकिनार करते हुए पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है। साहिबाबाद में विधायक अमरपाल शर्मा को टिकट दिया गया है जो बसपा से टिकट कटने के बाद कांग्रेस में आए हैं। कांग्रेस का कोई पुराना नेता अभी उनके साथ नजर नहीं आ रहा। लोनी से गठबंधन के प्रत्याशी राशिद मलिक को पहला चुनाव होने के कारण कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ रही है। सपा का भी एक खेमा नाराज चल रहा है तो कांग्रेसी भी कोई विशेष रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

    कई उम्मीदवारों पर सवाल

    गाजियाबाद व मुरादनगर में कांग्रेस ने पुराने चेहरों केके शर्मा और सुरेंद्र गोयल पर दांव लगाया है। ये दांव कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा या पुराना इतिहास दोहराएगा, इसे लेकर पार्टी के पुराने दिग्गज भी कशमकश में हैं। दोनों नेताओं को चुनाव लड़ने का तो अनुभव है मगर मुरादनगर में उनकी सक्रियता कितनी रही है, इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

    मुरादनगर सीट का जितना हिस्सा गाजियाबाद शहर का आता है, वहां तो केके शर्मा और सुरेंद्र गोयल सक्रिय रहे हैं मगर खास मुरादनगर में उनकी सक्रियता न के बराबर रही है। कुल मिलाकर गाजियाबाद, साहिबाबाद और मुरादनगर में कांग्रेस की राहें आसान नहीं नहीं आ रही हैं।

    पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अजय वर्मा का कहना है कि गठबंधन का पूरा फायदा मिल रहा है और सभी मिलकर काम कर रहे हैं, गुटबाजी का कहीं कोई नुकसान नहीं होगा।