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    JNU आंतरिक समिति ने कन्हैया समेत 5 छात्रों के निष्कासन की सिफारिश की

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Tue, 12 Apr 2016 07:27 AM (IST)

    आंतरिक समिति ने जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित पांच छात्रों को निष्कासित किए जाने की सिफारिश की है।

    नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आतंकी अफजल गुरु की बरसी के समर्थन में आयोजित 9 फरवरी को आयोजित कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई तय मानी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, कन्हैया समेत पांच दोषी छात्रों को दो सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया जाएगा।

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    कन्हैया पर नजर रखे जेएनयू प्रशासनः दिल्ली पुलिस

    सूत्रों की माने तो इस मामले में पांच सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कन्हैया 21 छात्रों को दोषी माना है। कुलपति को सौंपी गई यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। इस पर अंतिम फैसला कुलपति एम. जगदीश कुमार लेंगे।

    जेएनयू की आवाज नहीं कन्हैया

    सूत्रों के मुताबिक, जांच के लिए बनाई गई आंतरिक समिति ने जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित पांच छात्रों को निष्कासित किए जाने की सिफारिश की है। इनमें रामा नागा भी शामिल है।

    कन्हैया के साथ ABVP के सौरभ शर्मा पर भी होगी कार्रवाई

    आंतरिक जांच समिति द्वारा की गई सिफारिश पर जेएनयू प्रशासन ने अभी निर्णय नहीं लिया है। सूत्रों की माने तो जेएनयू छात्र संघ के सह सचिव सौरभ शर्मा को भी मामले में दोषी माना गया है। उन पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है।

    यहां पर याद दिला दें कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 21 छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

    कुछ दोषी छात्रों ने प्रशासन को अपना लिखित जबाव भेज दिया था, जबकि बड़ी संख्या आरोपी छात्रों ने अपना जवाब नहीं भेजा था।

    जेएनयू प्रशासन इस मामले में उनपर कोई कार्रवाई करने से पहले कानूनी सलाह ले रहा है। जेएनयू में छात्रों के अपराध के आधार पर ही उनको सजा का प्रावधान है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी छात्रों को क्या सजा दी जाए? इस संबंध में जेएनयू प्रशासन ने कानूनी राय मांगी है।

    विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में आगे कोई विवाद नहीं चाहता है। माना जा रहा है कि यदि दोषी छात्रों पर निष्कासन या कोई अन्य दंडात्मक कार्रवाई की जाती है तो एक बार फिर छात्र आंदोलन तेज हो सकता है।

    जेएनयू के एक अधिकारी का कहना है कि अनुशासन के नियमों को ध्यान में रखते हुए आरोपी छात्रों को क्या सजा दी जाए इस पर फैसला किया जाएगा, लेकिन सबसे पहले यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि दोषियों को दी जाने वाली सजा न्यायोचित हो।

    ज्ञात हो कि नौ फरवरी की घटना की जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाई गई आंतरिक समिति का शुरू से ही जेएनयू के छात्र विरोध कर रहे हैं। समिति ने उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को सांप्रदायिक, जातिगत और क्षेत्रीय भावना भड़काने एवं छात्रों के बीच सौहार्द बिगाड़ने का दोषी पाया है।