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    एनजीटी ने डीडीए को लगाई फटकार

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    Updated: Thu, 03 Mar 2016 08:52 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : श्रीश्री रविशंकर की देखरेख में यमुना किनारे होने जा रहे विश्व संस्कृत

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

    श्रीश्री रविशंकर की देखरेख में यमुना किनारे होने जा रहे विश्व संस्कृति महोत्सव के खिलाफ दायर याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने डीडीए को जमकर फटकार लगाई है। बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान डीडीए ने मामले में अपना पक्ष रखा। इस दौरान एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने डीडीए से महोत्सव को अनुमति देने के उसके फैसले पर कई सवाल पूछे। सवालों के जवाब में डीडीए अपना बचाव करता दिखा। मामले की अगली सुनवाई अब 8 मार्च को होगी। उस दिन एनजीटी उत्तर प्रदेश सरकार से भी मामले में जवाब मांग सकती है। यमुना किनारे उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग की भी कुछ जमीन है।

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    डीडीए के अधिवक्ता ने एनजीटी को बताया कि विभाग द्वारा महोत्सव को दी गई अनुमति गैरकानूनी नहीं है। आवेदन के दौरान बताए गए तथ्यों के आधार पर उसने कार्यक्रम को अपनी मंजूरी दी थी। एनजीटी ने डीडीए से सवाल किया, जब आपको पता था कि यमुना किनारे बाढ़ के मैदानों में इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम होगा तो इसे अनुमति क्यों दी गई। क्या आपको इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं था। आप बताएं कि पहले इन्कार करने के बाद कार्यक्रम को अनुमति क्यों दी गई। आपने यह फैसला किस आधार पर किया था। डीडीए ने कहा कि लगातार कार्यक्रम में कितने लोग आएंगे, कितने वर्ग किलोमीटर में कार्यक्रम होगा इसकी जानकारी बदलती रही है। इसके अलावा अन्य सिविक एजेंसियों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह कार्यक्रम स्थल पर हो रहे नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करें। डीडीए ने बताया कि करीब 24 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्यक्रम होना है। इस पर एनजीटी ने पूछा कि इस बात की जानकारी अनुमति देते हुए क्यों कहीं लिखी गई है। डीडीए ने कहा कि उसने सशर्त अनुमति दी थी और शर्तो में इस बात का ध्यान रखा गया कि किसी भी तरह एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन न हो। यमुना किनारे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

    एनजीटी ने कहा कि जब यह अस्पष्ट है कि कितने लोग आएंगे, कितने वर्ग किलोमीटर में कार्यक्रम होगा तो शर्तो का क्या मतलब रह गया।

    पार्किंग स्थल की अनुमति नहीं दी गई : डीडीए

    सुनवाई के दौरान विशेषज्ञ कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट पर भी जिरह हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना किनारे एक हजार एकड़ में विशाल मंच, पंटून पुल और टेंट लगाने का काम चल रहा है। जिससे यमुना का बाढ़ग्रस्त क्षेत्र क्षतिग्रस्त होगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि महोत्सव स्थल पर पार्किंग के लिए भी जगह तैयार की जा रही है। इस पर डीडीए ने बताया कि पार्किंग स्थल की अनुमति नहीं दी गई है। अनुमति देते हुए यह तय हुआ था कि कार्यक्रम में आने वाले वाहनों की पार्किंग पास ही स्थित मिलेनियम डिपो में की जाएगी।

    शिकायत के बाद भी डीडीए ने नहीं की कार्रवाई : याचिकाकर्ता

    वहीं, याचिकाकर्ता ने कहा कि मौके पर हो रहे नियमों के उल्लंघन के बारे में उन्होंने डीडीए को शिकायत की थी। डीडीए को बताया गया था किस तरह यमुना किनारे खोदाई की जा रही है। वहां मलबा पड़ा है, लेकिन विभाग ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे पूर्व एनजीटी ने याचिकाकर्ता से कहा था कि पहले आपको डीडीए के फैसले को चुनौती देनी होगी। आप स्पष्ट बताएं कि डीडीए का फैसला किन पैमानों पर अवैध है। यहां बता दें कि विशेषज्ञों की टीम ने कार्यक्रम होने के बाद नुकसान की भरपाई पर 120 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान लगाया है।

    यमुना जिए अभियान के संयोजक ने दायर की है याचिका

    पेश मामले में यमुना जिए अभियान एनजीओ के संयोजक मनोज मिश्रा ने याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि तीन दिवसीय ये कार्यक्रम 11-13 मार्च तक पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके में यमुना किनारे होगा। कार्यक्रम में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री समेत प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष शिरकत करेंगे। वहीं, 155 देशों के करीब 35 लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है। याची का दावा है कि आयोजनकर्ता एनजीटी के 13 जनवरी 2015 के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। जिसमें यमुना के बाढ़ग्रस्त इलाकों में किसी भी तरह के निर्माणकार्य पर रोक लगाया गया है। याची के अनुसार कार्यक्रम के चलते डीएनडी फ्लाई-वे तथा आसपास सड़क पर निर्माणकार्य किया जा रहा है, जो गैरकानूनी है और एनजीटी के आदेशों की अवमानना है। ऐसे में महोत्सव के आयोजन पर रोक लगाई जाए।