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    वामपंथियों की नजर सीबीसीएस पर

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    Updated: Thu, 20 Aug 2015 08:05 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव का बिगुल बज गया है। कैंपस में स ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव का बिगुल बज गया है। कैंपस में सक्रिय वामपंथी छात्र संगठनों की नजर इस बार भी उस विषय पर टिकी है, जिससे विद्यार्थियों का सीधा सरोकार है। इसी का नतीजा है कि पहले स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) और अब ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के खिलाफ विद्यार्थियों का मत जाहिर करने जा रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि एसएफआइ ने इसके लिए जनमत संग्रह कराया है, जबकि आइसा ने फीडबैक फार्म का इस्तेमाल किया है।

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    आइसा दिल्ली के अध्यक्ष अनमोल रतन का कहना है कि हम पिछले दो सप्ताह से विद्यार्थियों के बीच जाकर वह काम कर रहे हैं, जिसकी जिम्मेदारी मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व कुलपति की थी। फीडबैक फार्म से सीबीसीएस पर विद्यार्थियों का मत ले रहे हैं। 40 कॉलेजों में करीब 25 हजार फार्म भराए गए हैं। फीडबैक फार्म मुख्य रूप से प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों से भरवाए गए हैं। वे सीधे तौर पर नए बदलाव से रूबरू हो रहे हैं। शुक्रवार को आंकड़ों को सार्वजनिक कर राहत की मांग की जाएगी।

    एसएफआइ भी कैंपस में विद्यार्थियों के बीच सीबीसीएस को लेकर जनमत संग्रह करा चुका है। इसमें 12769 विद्यार्थियों ने मतदान किया था और 91.89 फीसद ने सीबीसीएस को नकार दिया था। आइसा की ओर से आ रहा फीडबैक लगभग दोगुने छात्रों पर केंद्रित है। इससे साफ है कि छात्रसंघ चुनाव में वामपंथी संगठन फिर से पाठ्यक्रम में हुए बदलाव को मुख्य मुद्दा बनाएंगे।

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    एबीवीपी पक्ष में एनएसयूआइ खिलाफ

    सीबीसीएस को लेकर अन्य छात्र संगठनों के रुख की बात करें तो एबीवीपी इसके पक्ष में खड़ी नजर आ रही है। वहीं एनएसयूआइ की राष्ट्रीय सचिव हसीबा अमीन का कहना है कि संगठन को बदलाव से ऐतराज नहीं है, लेकिन उसके नाम पर विद्यार्थियों को निजीकरण की ओर धकेलने की कोशिश उचित नहीं है। बदलाव छात्र व शिक्षकों से जुड़ा है, इसलिए जरूरी है कि इसे लागू करने से पहले विश्वविद्यालय स्तर पर चर्चा हो। आम आदमी पार्टी का छात्र संगठन छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाइएसएस) इस विषय को लेकर अभी खामोश है।