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    विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर बताया खतरा

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    Updated: Thu, 30 Jul 2015 08:42 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जारी बदलावों और उसमें मानव संसाधन विकास मंत्राल ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जारी बदलावों और उसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की भूमिका को लेकर बृहस्पतिवार को डीयू में आयोजित एक चर्चा में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को लेकर चिंता जताई गई। एकेडमिक्स फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) की ओर से शंकरलाल हॉल में आयोजित चर्चा में कई जानेमाने सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र की हस्तियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बदलाव के चलते विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता खतरे में है।

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    कार्यक्रम में कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पिछले एक-डेढ़ साल से शिक्षा, नीतियों और संस्थाओं पर सुनियोजित ढंग से हमले किए जा रहे हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, वैचारिक भिन्नता की आजादी, सवाल पूछने और जवाब मागने की आजादी को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। च्वाइंस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) और सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिल (सीयूबी) को लागू करना विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को नष्ट करने की कोशिश है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने इस मौके पर शिक्षा का बजट कम करने और विश्वविद्यालयों को निजीकरण की ओर ले जाने की निंदा की।

    इसी तरह राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेंपररी अध्ययन के निदेशक डॉ.मोहन गोपाल ने भी विश्वविद्यालय नामक संस्था की खत्म होती स्वायत्तता को लेकर चिंता व्यक्त की। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) अध्यक्ष रोजी एम जॉन ने कहा कि अब समय आ गया है जब उच्च शिक्षा को बचाने के लिए संघर्ष की जरूरत है। इस मौके पर डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने सीबीसीएस को छात्र-शिक्षकों के हितों पर हमला बताया और कहा कि देश में एक समान पाठ्यक्रम की बात सरकार कर रही है, जबकि विश्वविद्यालय के किन्हीं दो विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम एक समान नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स ऐसोसिएशन (फेडकूटा) की पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने की।