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सांसद के आदर्श गांव को विकास का इंतजार

सचिन त्रिवेदी, पूर्वी दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत

By Edited By: Published: Thu, 21 May 2015 07:13 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2015 07:13 PM (IST)
सांसद के आदर्श गांव को विकास का इंतजार

सचिन त्रिवेदी, पूर्वी दिल्ली

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गए गावों में से एक है चौहानपट्टी, सभापुर गांव। इस गांव को राजधानी के सबसे लोकप्रिय सांसदों में शुमार अभिनेता एवं गायक मनोज तिवारी की ओर से गोद लेने की घोषणा की गई। उस समय इस खबर को सुनकर चौहानपट्टीवासियों के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन मन में एक शंका थी कि इतने व्यस्त कार्यक्रम में से उनके सांसद मनोज तिवारी क्या इस गांव को अपना कीमती समय दे पाएंगे। उनकी इन शंकाओं पर उस समय विराम लग गया, जब पहली बाद मनोज तिवारी यहां सांसद के रूप में औपचारिक तौर तरीके से गांव को गोद लेने की घोषणा करने पहुंचे। उस समय ग्रामीणों को मजबूत उम्मीद बंधी कि शायद अब इस गांव के दिन जल्द ही फिरने वाले हैं और चौहानपट्टी के लोगों को ज्यादा दिनों तक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा, मगर एक सच्चाई यह भी है कि केंद्र में भाजपा की सरकार सत्ता में आए हुए एक वर्ष का समय पूर्ण हो चुका है, मगर यहां विकास कार्यो के नाम पर जो कुछ काम हुआ, उनमें से 90 प्रतिशत अब तक सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।

गांव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

चौहानपट्टी, सभापुर गांव के इतिहास के बारे में बात करें तो यह तकरीबन 400 वर्ष पुराना बताया जाता है। इससे पहले यहां यमुना नदी के नजदीक खाली भूमि होती थी, जहां गांव की बसावट की शुरुआत सन् 1605 के आसपास हुई थी। पहले यहां पुस्ते का निर्माण नहीं हुआ था, उस समय यह गांव यमुना में हर वर्ष आने वाली बाढ़ का शिकार हो जाता था। ग्रामीणों का कहना है कि उस दौरान यह गांव तकरीबन सात बार पूरी तरह उजड़ा और बार-बार बसाया गया। चौहानपट्टी पुराने समय में सभापुर शाहदरा गांव का हिस्सा था, जो काफी बड़े हिस्से में बसा हुआ था। बाद में समय-समय पर बाढ़ से प्रभावित होकर सभापुर गांव कट कर कई हिस्सों में बंट गया। बुजुर्गों के अनुसार जब पुराने समय में यहां समय ¨सह चौहान आकर बसे जो काफी व्यक्तित्व के धनी थे, उन्हीं के नाम पर गांव का नाम भी चौहानपट्टी पड़ा था। इस समय में गांव में चौहानों के अलावा, गुर्जर, ब्राह्माण, हरिजन एवं नाई सहित सभी जाति एवं धर्म के लोग आपसी सद्भाव के साथ रह रहे हैं।

राजस्व रिकार्ड का पेंच बता रहा सभापुर शाहदरा की कहानी

सांसद मनोज तिवारी ने जब चौहानपट्टी गांव को गोद लेने की घोषणा की तो पता चला कि यह गांव राजस्व रिकार्ड के अनुसार सभापुर शाहदरा गांव का ही एक हिस्सा है। इस दौरान पुराने रिकार्ड खंगालने पर यह बात सामने आई कि वर्तमान समय में राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार सभापुर शाहदरा गांव की दो पट्टियां हैं। इनमें चौहानपट्टी एवं गुजरानपट्टी शामिल हैं। गुर्जर एवं चौहानों की अलग अलग बसावट होने के चलते पूर्व में ये दोनों पट्टियां दो हिस्सों में बंटकर दो गांवों में तब्दील हो गई थीं। इन दोनों गांवों के अपने अपने प्रधान भी चुन लिए गए थे, मगर बदलते वक्त के साथ गुजरानपट्टी में काफी तेजी से विकास हुआ, जो अब सभापुर गुजरान के नाम से जाना जाता है और वहां की आबादी 10 हजार से ज्यादा है। चौहानपट्टी गांव शिक्षा एवं विकास के क्षेत्र में पिछड़ गया। इसकी आबादी तीन हजार के अधिक है, मगर चौहानपट्टी गांव का नाम सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत चुने जाने के बाद दोनों के गांव के बीच की दूरी फिर कम हुई हैं।

शिक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ दो स्कूल

चौहानपट्टी, सभापुर की पहचान के रूप में यहां एक प्राचीन राजा अनंगपाल का मंदिर बना हुआ है। इसकी पूरे गांव में काफी मान्यता है। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में गांव की स्थिति इतनी खराब थी कि यहां से कोई रिश्ता नहीं जोड़ना चाहता था। इस समय ये दोनों ही गांव एक माने जा रहे हैं और सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत आ रहे हैं। वास्तविक स्थिति पर नजर डालें तो चौहानपट्टी बिल्कुल अलग बसा हुआ है, जिसके हालात सभापुर गुजरान से ज्यादा खराब हैं। शिक्षा व्यवस्था के नाम पर सभापुर में एक दिल्ली सरकार एवं एक निगम का स्कूल है तो चौहानपट्टी वाले हिस्से में कोई स्कूल नहीं है। इस समय यह गांव करावल नगर विधानसभा क्षेत्र व सोनिया विहार वार्ड के अंतर्गत आता है। अन्य ग्रामीण इलाकों के मुकाबले चौहानपट्टी में शहरीकरण का खास असर नहीं हुआ। हालांकि कुछ सड़कों का निर्माण हुआ है, मगर समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है।

विकास कार्य शुरू होने से पहले आ रही बाधाएं

चौहानपट्टी सभापुर गांव में जो 10 प्रतिशत काम शुरू भी किए गए हैं, वे किसी न किसी बाधा के चलते बीच में ही रोक दिए गए हैं। समस्याएं इतनी हैं कि एक काम शुरू किया जाता है तो दो नई अड़चनें बीच में आ जाती हैं। गांव में सबसे पहले सांसद की ओर से प्रमुख मार्गो एवं गांव के प्रवेश द्वार पर काम शुरू किया गया, मगर इसी बीच पता चला कि सीवर लाइन से पहले सड़क बनना और बिजली की लाइन को हटाए बिना प्रवेश द्वार बनाया जाना संभव नहीं है। ऐसे में सांसद को पहले सीवर लाइन डालने के लिए अधिकारियों से बात एवं बिजली की लाइन को अंडरग्राउंड कराने का प्रस्ताव पास कराना पड़ा। कुल मिलाकर यह बात भी एक कड़वे सच के समान है कि साल भर बाद भी चौहानपट्टी गांव की हालत में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुआ है। सांसद के स्तर पर सांसद निधि के सौजन्य से कराए गए कार्यो में सिर्फ सभापुर गुजरान वाले हिस्से में प्रमुख मार्ग का निर्माण चल रहा है, जो खजूरी पुस्ता रोड से जाकर मिलेगा।

गांव का इन्फोग्राफिकल चार्ट - (दोनों हिस्सों को मिलाकर)

कुल आबादी : 18 हजार के आसपास

महिला : 8 हजार के आसपास

पुरुष : 10 हजार

आवास : 2000 (सभी पक्के)

स्कूल : सभापुर वाले हिस्से में एक प्राथमिक एवं एक उच्चतर विद्यालय, चौहानपट्टी सरकारी स्कूल नहीं

अस्पताल : सिर्फ चौहानपट्टी वाले हिस्से में एक मातृ शिशु कल्याण केंद्र है, जो किराये के भवन में चल रहा है।

शौचालय : सार्वजनिक शौचालाय एक भी नहीं

खेतिहर जमीन : 2 हजार बीघा

बागान : सरकारी भूमि पर विकसित वन्य क्षेत्र कई एकड़ में

मुख्य फसल : गेहूं, ज्वार एवं हरी सब्जियां

शिक्षक : सभापुर के स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक, चौहानपट्टी में कोई नहीं

डॉक्टर : मातृ शिशु कल्याण केंद्र में एक चिकित्सक एवं चार सहायक, बाकी झोलाझाप चिकित्सों पर निर्भर।

प्रशासनिक स्तर पर कराए गए कार्य व पहल

- सरकारी योजना 'मेरी दिल्ली, मैं ही सवारूं' के तहत मिले फंड से 24 लाख रुपये की लागत से आदर्श गांव के प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य शुरू किया गया है।

- बीएसईएस की ओर से 1 करोड़ 4 लाख रुपये की लागत से 4 किलोमीटर लंबी हाईटेंशन लाइन को भूमिगत करने के काम की मंजूरी दिलाई गई।

- 91 लाख 21 हजार रुपये की लागत से चौहानपट्टी में बस टर्मिनल एवं सार्वजनिक शौचालय के निर्माण की योजना ¨सचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से प्रगति पर है।

ग्राम पंचायत व आम जन की पहल

चौहानपट्टी एवं सभापुर दोनों हिस्सों में बने सामुदायिक केंद्रों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण के लिए लगभग 30 लाख रुपये की योजना जिला प्रशासन में विचाराधीन।

- दिल्ली नगर निगम की ओर से चौहानपट्टी में प्राथमिक विद्यालय एवं गलियां बनाने की योजना प्रगति पर।

नकारात्मक-सकारात्मक प्रतिक्रिया का असर

सांसद की ओर से एक ही गांव को गोद लेने पर मनोज तिवारी को भी कई तरह की प्रतिक्रियाओं, शिकवे शिकायतों एवं आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, मगर भाजपा सांसद का कहना है कि वे पूरे संसदीय क्षेत्र को अपना परिवार के समान मानते हैं और एक गांव को ही गोद लेना योजना के तहत उनकी मजबूरी थी।

जागरण विचार

लंबित पड़ी जो योजनाएं एक वर्ष में पूरी नहीं हो सकीं, उन्हें पूरा करने के लिए सभी संबंधित विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक बुलाकर विकास कार्यो की समीक्षा होनी चाहिए। इसके अलावा योजनाओं के पूरा होने में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय की जाए। विकास कार्यो में होने वाली देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही भी तय हो, ताकि जल्द विकास योजनाएं पूरी हो सकें और उनका लाभ ग्रामीणों को मिल सके। इसके साथ ही चौहानपट्टी, सभापुर गांव को एक विकसित एवं आदर्श गांव के रूप में पहचान मिल सकेगी।

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हमारी उम्र निकल गई चौहानपट्टी, सभापुर गांव को अपनी अलग पहचान दिलाने के प्रयास में, मगर जब हमें पता लगा कि सांसद मनोज तिवारी ने इस गांव को आदर्श बनाने का बीड़ा उठाया है, तो उम्मीद जगी है।

- कर्म ¨सह तोमर, प्रधान।

- हमें उम्मीद नहीं थी कि सांसद हमें इतना समय भी दे पाएंगे कि नहीं, मगर जब से उन्होंने इस गांव को गोद लिया है तभी से हम लोग लगातार उनसे मिलकर हर तरह की परेशानियां साझा कर रहे हैं।

- ओमपाल तोमर।

- पहले कभी गांव में विकास होने की उम्मीद हमें नहीं जगी थी, मगर अब जब काम की शुरुआत होते देख रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि चौहानपट्टी सभापुर को विकास के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

- राम ¨सह।

- गांव में कुछ काम तो शुरू हुए हैं, मगर साल भर बाद इतना काम नाकाफी लग रहा है। सांसद से हमारी गुजारिश है कि जितना हो सके, उतनी जल्दी गांव में बच्चों के लिए एक स्कूल जरूर बनवाएं।

- किशन ¨सह राणा।

चौहानपट्टी शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ है। ऐसे में ये काम प्राथमिकता के आधार पर किए जाने चाहिए थे। सांसद ने इस गांव को गोद जरूर लिया है, मगर हमें आज भी विकास का इंतजार है।

- राजू छोकर।

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चौहानपट्टी सभापुर गांव को औपचारिक रूप से गोद लेने के बाद 14 मार्च 2015 को हमने सभी संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ गांव का दौरा किया। इसी दौरान अधिकारियों की मौजूदगी में खुद वहां के निवासियों से प्राथमिकता के आधार पर विकास कार्यो को लेकर सुझाव मांगे। इन सभी सुझावों के आधार पर ही कुछ योजनाएं तैयार कर सुनियोजित ढंग से विकास कार्य शुरू किए गए हैं, मगर जब कहीं विकास कार्य शुरू होते हैं तो उनमें कुछ बाधाएं भी सामने आती हैं। ग्रामीणों से किए गए वादों के अनुसार सभी बाधाओं को दूर किया जा रहा है। गांव में बस टर्मिनल, विद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व मात्र शिशु कल्याण केंद्र आदि जैसी विकास योजनाओं की विभागीय प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। प्रवेश द्वार के निर्माण में बाधक एवं ग्रामीणों के लिए खतरा बन रही हाइटेंशन लाइनों को भूमिगत करने का काम शुरू होने वाला है। विकास कार्यो पर योजनाबद्ध तरीके से काम करने के लिए विभागीय औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में थोड़ा समय जरूर लग रहा है, मगर इसके काफी बेहतर दूरगामी परिणाम नजर आएंगे और कार्य पूरे होने पर गांव की तस्वीर भी विकसित नजर आएगी।

- मनोज तिवारी, सांसद, उत्तर पूर्वी दिल्ली।


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