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    श्रद्घानंद कॉलेज ने 12 तदर्थ शिक्षकों की छुट्टी की

    By Edited By:
    Updated: Wed, 13 May 2015 02:00 AM (IST)

    अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 12 तदर्थ श ...और पढ़ें

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    अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली

    दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 12 तदर्थ शिक्षकों को निकाल दिया गया है। शिक्षण के लिए अनिवार्य नेट की अहर्ता नहीं होने को कारण बताते हुए उन्हें निकाला गया है। इससे अन्य कॉलेजों में भी बिना नेट उत्तीर्ण शिक्षकों में दहशत का माहौल है। डीयू प्रशासन ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के बीते 16 मार्च को दिए गए एक निर्णय के आधार पर लिया गया है। डीयू प्रशासन को पत्र लिखकर इस संबंध में सलाह मांगी गई है। उधर, कॉलेज के स्टाफ एसोसिएशन के सचिव सुधांशु का कहना है कि कॉलेज प्रशासन ने 22 शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। डीयू के 66 कॉलेजों में लगभग 700 शिक्षक ऐसे हैं जो नेट उत्तीर्ण नहीं हैं। वह केवल पीएचडी करके पढ़ा रहे हैं। ऐसे में सिर्फ इन 12 शिक्षकों को बाहर निकालने की क्या वजह है। हाल में हुई नियुक्तियों के बारे में भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहीं भी इस तरह की बाध्यता नहीं रखी है। प्रिंसिपल इसे अपने मन से कह रहे हैं। वहीं, डीयू शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण का कहना है कि कई कॉलेजों के प्रिंसिपल मनमानी पर उतर आए हैं। वह तदर्थ शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हम इस मुद्दे को प्रमुखता से ले रहे हैं और इसके खिलाफ व्यापक स्तर पर आवाज उठाएंगे। एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा का कहना है कि तदर्थ शिक्षकों को लेकर कॉलेजों के प्रिंसिपलों का रवैया सही नहीं रहा है।

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    सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को आधार बनाते हुए नेट की अनिवार्यता से संबंधित कोई भी पत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कॉलेज या विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं भेजा है। लेकिन जानबूझकर प्रिंसिपल इन शिक्षकों को तंग कर रहे हैं, जिससे इनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।