दिल्ली से गहरा नाता है सीताराम येचुरी का
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली देश की वामपंथी सियासत में अपनी खास पहचान रखने वाले सीताराम येचुरी संसद म
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली
देश की वामपंथी सियासत में अपनी खास पहचान रखने वाले सीताराम येचुरी संसद में तो अपनी बेहतरीन भाषण शैली का नमूना पेश करते दिखते ही हैं, उन्हें जवाहर लाल नेहरू की कैंटीन में भी नौजवानों के साथ जिरह करते देखा जा सकता है। येचुरी दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के आंदोलन में उसी जोश ओ खरोश के साथ शामिल होते हैं, जिस तरह वह शुरुआती दिनों में हुआ करते थे। लब्बोलुआब यह है कि उनकी छवि भले ही राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत वामपंथी नेता की हैं, लेकिन दिल्ली से भी उनका गहरा नाता है। उन्होंने अपनी सियासत तो यहां की ही है साथ ही उनकी पढ़ाई का भी नाता दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू से रहा है। बेहद मिलनसार स्वभाव के बताए जाने वाले येचुरी के प्रशंसक राजधानी में भी बड़ी संख्या में हैं। येचुरी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी का महासचिव चुने जाने पर डीयू और जेएनयू के शिक्षक ही नहीं, छात्र भी जोरदार बधाई दे रहे हैं।
कोट्स -----------------
सीताराम येचुरी सुलझे व्यक्ति हैं, जिनका भारतीय समाज और राजनीति सम्मान करती है और उनकी समझ के उनके समझ के कायल उनके विरोधी भी हैं। वह रूढि़वादी सोच के नहीं हैं संघर्ष को लेकर उनका लंबा इतिहास है। उनके रवैये में लचीलापन होना भी उनकी खूबी है।
- डॉ. संजय पांडेय, पूर्व शिक्षक, जेएनयू
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सीताराम येचुरी हमारे वरिष्ठ हैं, डीयू से उनका गहरा लगाव है क्योंकि वह यहां पर शिक्षा प्राप्त किए हैं। आज भी वह छात्र और शिक्षकों के मुद्दों को लेकर हमेशा हमारे साथ आए और आज भी हम जब भी उनको बुलाते हैं वह उसी सरलता के साथ आते हैं। हमें खुशी है कि उनको एक बड़ा पद मिला है।
- डॉ. नंदिता नारायण, अध्यक्ष, डूटा
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सीताराम येचुरी को महासचिव बनने पर हम सब खुश हैं। उनका मार्गदर्शन हमें समय-समय पर मिलता रहता है। जेएनयू से उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है लेकिन राजनीतिक समझ, वैश्विक मुद्दों पर उनकी सोच के हम सब कायल हैं वह आज भी हमारे बीच एक छात्र की तरह ही व्यवहार करते हैं।
- बालू, सदस्य, एसएफआइ, जेएनयू