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    हड़ताल की तो कटेगा वेतन

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    Updated: Mon, 09 Mar 2015 08:51 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा मंगलवार को हड़ताल की घोषणा पर ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा मंगलवार को हड़ताल की घोषणा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलसचिव ने काम नहीं तो वेतन नहीं (नो वर्क नो पे) का फरमान जारी किया है। कुलसचिव ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि जो शिक्षक कॉलेज या विभाग में कक्षाएं नहीं लेगा, उसका वेतन काटा जाएगा। उच्च अधिकारियों की टीमें कॉलेजों का दौरा भी करेंगी। इस संबंध में कुलसचिव ने कॉलेज के प्रिंसिपल, विभागाध्यक्ष और संबंधित अधिकारियों को पत्र के माध्यम से सूचना दे दी है। शिक्षक संगठनों ने इसका जोरदार विरोध किया है।

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    डीयू में पिछले तीन दिन से डूटा और अन्य छात्र संगठन विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर शिक्षकों व छात्रों के जुटने का आह्वान कर रहे हैं। डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण ने मंगलवार डेढ़ बजे प्रेसवार्ता भी रखी है। नार्थ कैंपस में आर्ट फैकल्टी के सामने जनसभा तथा सभी कॉलेजों में शिक्षकों को हड़ताल में शामिल होने का आह्वान भी किया है। नंदिता नारायण ने कहा कि हम 'पढ़ो, पढ़ाओ संघर्ष करो' की नीति पर काम करते हैं, लेकिन अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है। कुलसचिव का फरमान तुगलकी और गैरकानूनी है।

    डूटा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्र का कहना है कि अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करना शिक्षकों का हक है। कुलसचिव के इस तुगलकी फरमान का कोई औचित्य नहीं है। इस मसले को बातचीत द्वारा हल किया जा सकता है। डूटा च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) हटाने, ¨हदू कॉलेज के दो शिक्षकों को निष्कासित करने के खिलाफ और डीयू में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कुलपति को हटाने की मांग कर रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में भी शिक्षकों ने हड़ताल की थी और उनका एक दिन का वेतन काट लिया गया था। शिक्षक संगठन अब भी इसकी वापसी की मांग कर रहे हैं।