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    शिक्षा के क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की जरूरत

    By Edited By:
    Updated: Tue, 06 Jan 2015 09:28 PM (IST)

    अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली रोजगार की उम्मीद में देश के विभिन्न हिस्सों से कई लाख लोग प्रति वर्ष राज ...और पढ़ें

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    अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली

    रोजगार की उम्मीद में देश के विभिन्न हिस्सों से कई लाख लोग प्रति वर्ष राजधानी आते हैं। ऐसा माना जाता है कि अनधिकृत कॉलोनियों के बसने की शुरुआत वर्ष 1982 में हुए एशियाई खेलों के दौरान हुई क्योंकि उस समय राजधानी में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य हुए। काम करने के लिए दिल्ली आए मजदूर अपने प्रदेशों को वापस नहीं लौटे। इसी तरह वर्ष 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों से न केवल राजधानी के लोगों को बल्कि अन्य राज्यों के लोगों को भी रोजगार मिला। पिछले दस साल में राजधानी में मेट्रो, स्कूलों, भवनों, फ्लाईओवर निर्माण के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार मिला है।

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    उत्तर भारत में दिल्ली को रोजगार का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। यहां फैक्ट्रियां भले ही बड़ी संख्या में न हों लेकिन सेवा के क्षेत्र में काम करने लोग यहां बड़ी संख्या में हैं। ऐसी संभावना है कि आने वाले दिनों में आगे भी और इस क्षेत्र में बढ़ोतरी होगी और रोजगार के साधन विकसित होने से लोग सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

    जरूरी कदम उठा सकती है सरकार

    लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार आने वाले समय में बड़े कदम उठा सकती है। क्योंकि राजधानी में युवा बड़ी संख्या में हैं और इनकी ऊर्जा का सदुपयोग सरकार नई योजनाओं को लाकर कर सकती है। इसी तरह सेवा के क्षेत्र में कार्यरत लोगों में कौशल विकास का अभाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कौशल विकास पर जोर देने की बात कई बार दोहराई है। सरकार पहले से ही स्कूलों और अन्य संस्थानों में इस पर कार्य कर रही है।

    शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को बनाया जाए सक्षम

    शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की योग्यता की पहचान कर उन्हें भी रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। क्योंकि यह ऐसा वर्ग है जिसके लिए रोजगार के कम साधन हैं। कुछ शैक्षणिक संस्थान राजधानी में बेहतर कार्य कर रहे हैं लेकिन शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को बेहतर प्रशिक्षण देकर इनका नियोजन किया जाना बेहद महत्वपूर्ण है।

    शिक्षा के क्षेत्र में राजधानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाने के लिए दिल्ली सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। सरकारी स्कूलों में प्रति वर्ष लगभग एक लाख छात्रों की संख्या बढ़ने से स्कूलों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है। इस दिशा में काम करते हुए शिक्षा निदेशालय इस साल कई नए स्कूल खोलने जा रहा है। इन स्कूलों में न केवल सामान्य पढ़ाई होगी बल्कि छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा भी दी जाएगी। आने वाले 3 माह में 19 स्कूल खोलने के लिए 345 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए 40 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की भी योजना है। सरकार तकनीकी शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दे रही है। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काफी धन खर्च किए जाने की योजना है। विश्व बैंक के सहयोग से वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाने, दिल्ली की प्रमुख आइटीआइ को निजी संस्थानों से जोड़कर छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा देने की योजना है। कई बहुउद्देश्यीय कंपनियों के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करेंगे। राजधानी में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आइपी विश्वविद्यालय, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय के अलावा अन्य संस्थानों में योग्य तथा कुशल शिक्षक रखने की योजना है। कश्मीरी गेट स्थित अंबेडकर विश्वविद्यालय को निरंकारी कॉलोनी, धीरपुर में 7.19 हेक्टेयर की भूमि पर 11 करोड़ रुपये की लागत से फिर से बनाए जाने की योजना है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए रोहिणी के सेक्टर-7 में 2.7 एकड़ में महर्षि वाल्मीकि कॉलेज आफ एजुकेशन बनाया जा रहा है।